सिया जी की सखियों ने चारों दूल्हों की आरती उतारी और लोढ़ा लेकर परीक्षण की विधि पूरी कराई. इसके बाद चारों दूल्हे पालकी में सवार होकर मंडप पहुंचे, जहां धानकुटन की रस्म संपन्न हुई. इस दौरान सखियों ने दूल्हों से मजाक करते हुए रस्मों को और रोचक बना दिया.
- 55वें सिय-पिय मिलन महोत्सव में संपन्न हुआ अलौकिक विवाह
- द्वारपूजा से लेकर कन्यादान तक की रस्मों ने मोहा श्रद्धालुओं का मन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: नगर के नया बाजार स्थित श्री सीता विवाह महोत्सव आश्रम में आयोजित 10 दिवसीय 55वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के अंतर्गत शुक्रवार को अगहन शुक्ल पंचमी के दिन सिय-रघुवीर विवाह संपन्न हो गया. इस आयोजन के दौरान नया बाजार का माहौल अलौकिक बन गया. बारात में गुरु वशिष्ठ, राजा दशरथ और चारों भाई राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न हाथी-घोड़ों पर सवार होकर राजा जनक के द्वार पहुंचे. बारात में श्रद्धालुगण गाते-थिरकते नजर आए.
महाराज जनक के द्वार पर द्वारपूजा की रस्म पूरी की गई. इसके बाद चारों भाई जनवासे लौट गए. विवाह लीला देखने के लिए दूर-दराज से आए श्रद्धालु देर रात तक आश्रम में मौजूद रहे और इस अलौकिक दृश्य के साक्षी बने. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे बक्सर में मिथिला का नजारा दिख रहा हो.
लोढ़ा लेकर दूल्हों का परीक्षण और धानकुटन विधि :
रात्रि 9 बजे द्वारपूजा से विवाह की शुरुआत हुई. सिया जी की सखियों ने चारों दूल्हों की आरती उतारी और लोढ़ा लेकर परीक्षण की विधि पूरी कराई. इसके बाद चारों दूल्हे पालकी में सवार होकर मंडप पहुंचे, जहां धानकुटन की रस्म संपन्न हुई. इस दौरान सखियों ने दूल्हों से मजाक करते हुए रस्मों को और रोचक बना दिया. इस दौरान पारंपरिक विवाह की तरह ही धुरछक व अन्य विधियां भी कराई गई.
कन्या परीक्षण और लक्ष्मण जी के साथ मजाक :
कन्या परीक्षण की रस्म में सिया जी की सखियों ने चारों भाइयों के हाथों में आम का पल्लव देकर अपनी दुल्हन को पहचानने को कहा. तीन भाइयों ने अपनी दुल्हन को पहचान लिया, लेकिन चुलबुले लक्ष्मण जी के स्थान पर सखियों ने एक पुरुष को बिठा दिया. इससे सभी ठहाके लगाने लगे. पुरुष ने लक्ष्मण जी से अनुरोध किया कि उन्हें भी अयोध्या ले चलें. बाद में लक्ष्मण जी को उनकी असली दुल्हन से मिलवाया गया.
विवाह की मुख्य रस्में:
चारों कन्याओं – सीता, उर्मिला, मांडवी और श्रुतिकीर्ति का कन्यादान महाराज जनक और उनकी पत्नी ने किया. इस दौरान यह विधि कर रहे दंपत्ति की आंखें छलछला उठीं. लावा मिलाई सहित विवाह की सभी रस्में आश्रम के महंत राजाराम शरण दास की देखरेख में पूरी कराई गयी.
संतों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति:
कार्यक्रम में मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र देवाचार्य महाराज, महर्षि खाकी बाबा सरकार समेत देश के कई हिस्सों से पहुंचे संत महात्मा मौजूद रहे इस दौरान विवाह स्थल पर श्रीमन्नारायण दास भक्तमाली "मामाजी महाराज" की प्रतिमाएं स्थापित थी. कार्यक्रम में कई जनप्रतिनिधि व सामाजिक व्यक्ति भी उपस्थित रहे. श्रद्धालु पूरी रात विवाह मंडप में मौजूद रहकर आयोजन का आनंद लेते रहे.
दुल्हनों की विदाई के साथ समापन :
विवाह के सभी रीति-रिवाज संपन्न होने के बाद चारों दुल्हनों की विदाई कराई गई, जिससे उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं. इस भव्य आयोजन ने सभी के दिलों में गहरी छाप छोड़ी. शनिवार को राम कलेवा के साथ 10 दिवसीय यह आयोजन संपन्न हो जाएगा.
कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किए गए थे. आयोजन स्थल के पास लगे मेले का भी लोगों ने खूब लुत्फ उठाया.
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