कहा, "श्रीमद् भागवत में वर्णित है कि ध्रुव ने मृत्यु के सिर पर पैर रखकर स्वर्ग की यात्रा की. परीक्षित राजा ने कथा के अंत में काल के भय से मुक्ति पाई. जो भागवत का आश्रय लेता है, वह निर्भय हो जाता है."
- भागवत श्रवण से निर्भयता और मोक्ष की प्राप्ति
- आचार्य रणधीर ओझा ने पहले दिन श्रोताओं को किया प्रेरित
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के नदांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन आचार्य रणधीर ओझा ने कथा के महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत न केवल मनुष्य को निर्भय बनाता है, बल्कि मोक्ष की ओर अग्रसर करता है. उन्होंने कहा, "श्रीमद् भागवत में वर्णित है कि ध्रुव ने मृत्यु के सिर पर पैर रखकर स्वर्ग की यात्रा की. परीक्षित राजा ने कथा के अंत में काल के भय से मुक्ति पाई. जो भागवत का आश्रय लेता है, वह निर्भय हो जाता है."
आचार्य ओझा ने भागवत महात्म्य को महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि यह ग्रंथ भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं, उपदेशों और दिव्य गुणों का विस्तृत वर्णन करता है. भागवत का श्रवण और अध्ययन अत्यंत फलदायी है, जो जीवन को हर दृष्टि से सशक्त बनाता है.
उन्होंने कहा, "भागवत कथा व्यक्ति के भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक पक्षों को मजबूत करती है. यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और समृद्धि लाने में सहायक है. जो व्यक्ति इसका श्रवण करता है, उसे भगवान की अनुकंपा प्राप्त होती है और वह मोक्ष की ओर बढ़ता है."
आचार्य ने श्रोताओं को बताया कि भागवत पुराण से जीवन यात्रा को संतुलित और समृद्ध बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा, "यह ग्रंथ जीव को मुक्ति प्रदान करता है और उसे कृष्ण का प्रिय बनाता है. इसे मुक्ति शास्त्र भी कहा जाता है. गोकर्ण जी ने धुंधकारी को पाप से मुक्त करने के लिए भागवत कथा का आयोजन किया था। यह ग्रंथ कलयुग में भगवान से मिलाने का माध्यम है."
कथा आयोजन में अविरुद्ध दूबे, मनोज दूबे और अन्य लोगों का विशेष योगदान रहा. सभी ने इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
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