न्याय और साहित्य के पुरोधा को श्रद्धांजलि

कहा कि उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज में अध्यापन के माध्यम से न्याय की शिक्षा दी और भोजपुरी साहित्य को समृद्ध किया. उनके द्वारा किए गए "गीता" और "अमरावती कथा संग्रह" के भोजपुरी अनुवाद को विशेष मान्यता प्राप्त है.










                                           

- स्व. घनश्याम मिश्र की 19वीं पुण्यतिथि पर बक्सर में आयोजित सभा
- वरिष्ठ अधिवक्ताओं और साहित्य प्रेमियों ने किया नमन

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : ज़िला अधिवक्ता संघ के तत्वावधान में वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. घनश्याम मिश्र की 19वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. सभा में न्याय और साहित्य के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश ने की, जबकि बिहार राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य ने मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित किया. वक्ताओं ने स्व. मिश्र के जीवन और उनके कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज में अध्यापन के माध्यम से न्याय की शिक्षा दी और भोजपुरी साहित्य को समृद्ध किया. उनके द्वारा किए गए "गीता" और "अमरावती कथा संग्रह" के भोजपुरी अनुवाद को विशेष मान्यता प्राप्त है.

सभा में ज़िला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ता और साहित्यप्रेमी शामिल हुए. वक्ताओं ने कहा कि स्व. मिश्र का संघर्षमय जीवन और उनका साहित्यिक योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है. उनके अनुवादित कार्य "चानी के झूझना" को एमए पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है, जबकि "चकबंदी विधान", "तुलसीकृत पार्वती मंगल" और "जानकी मंगल" के भोजपुरी अनुवाद भी व्यापक रूप से सराहे जाते हैं.

सभा के अंत में ज़िला अधिवक्ता संघ के सचिव ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और दो मिनट के मौन के साथ सभा का समापन किया गया.











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