इस मामले में दोषी पाए गए चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों को हटाने के आदेश का पालन नहीं करने पर सिविल सर्जन ने अस्पताल उपाधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है. वहीं, कांग्रेस नेता पंकज उपाध्याय ने भी इस देरी पर आपत्ति जताते हुए इसे गंभीर प्रशासनिक लापरवाही करार दिया है.
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सिविल सर्जन से बात करते कांग्रेस नेता व अन्य |
- 60 दिन बाद भी नहीं हुआ आदेश का पालन
- सिविल सर्जन ने मांगा स्पष्टीकरण
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सदर अस्पताल में लापरवाही के कारण नवजात की मौत के मामले में कार्रवाई नहीं होने पर अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है. इस मामले में दोषी पाए गए चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों को हटाने के आदेश का पालन नहीं करने पर सिविल सर्जन ने अस्पताल उपाधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है. वहीं, कांग्रेस नेता पंकज उपाध्याय ने भी इस देरी पर आपत्ति जताते हुए इसे गंभीर प्रशासनिक लापरवाही करार दिया है.
गौरतलब है कि दिसंबर 2024 में महिला चिकित्सक डॉ. सेतु सिंह, स्वास्थ्य कर्मी चांदनी कुमारी और रागिनी कुमारी की कथित लापरवाही से एक नवजात की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद 14 दिसंबर को सिविल सर्जन ने इन तीनों को अस्पताल से विरमित करने का आदेश दिया था, लेकिन दो महीने बाद भी यह आदेश लागू नहीं किया गया.
गुरुवार को कांग्रेस नेता पंकज उपाध्याय ने सिविल सर्जन से मुलाकात कर इस मामले को उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल उपाधीक्षक ने जानबूझकर आदेश का पालन नहीं किया और चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति में मनमानी कर रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि जब जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव को इस संबंध में जानकारी दी गई थी, तो फिर भी आदेश पर अमल क्यों नहीं हुआ?
सिविल सर्जन का कड़ा रुख :
मामले की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ शिवकुमार प्रसाद चक्रवर्ती ने अस्पताल उपाधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उन्होंने 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है कि आखिर इतने दिनों तक आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया? सिविल सर्जन ने स्पष्ट किया कि संबंधित चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों को अब विरमित कर दिया गया है.
इस पूरे घटनाक्रम के बाद अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि उपाधीक्षक क्या जवाब देते हैं और स्वास्थ्य विभाग इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है?
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