कहा कि "सिद्धाश्रम बक्सर" वह भूमि है, जहां भगवान वराह ने संकल्प लिया था. उन्होंने कहा कि वाराह पुराण में लिखा है कि बड़े से बड़े पाप भी केवल बक्सर का नाम लेने से समाप्त हो जाते हैं. बक्सर की जयकार करने से व्यक्ति के सभी ग्रह और विपत्तियां समाप्त हो जाती हैं.
- गंगाधाम आश्रम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी
- स्वामी जी ने बक्सर के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : गंगाधाम आश्रम, कम्हरिया में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. पवित्र गंगा के तट पर हो रहे इस आयोजन में भक्तों की आस्था का अद्भुत दृश्य देखने को मिल रहा है. सवा लाख हनुमान चालीसा के अखंड हरिकीर्तन से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया है. इस भव्य महायज्ञ में परम पूज्य श्री 1008 गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने बक्सर की धार्मिक महिमा पर प्रकाश डाला और श्रद्धालुओं को इसके अद्वितीय महत्व से अवगत कराया.
स्वामी जी ने अपने प्रवचन में कहा कि "सिद्धाश्रम बक्सर" वह भूमि है, जहां भगवान वराह ने संकल्प लिया था. उन्होंने कहा कि वाराह पुराण में लिखा है कि बड़े से बड़े पाप भी केवल बक्सर का नाम लेने से समाप्त हो जाते हैं. बक्सर की जयकार करने से व्यक्ति के सभी ग्रह और विपत्तियां समाप्त हो जाती हैं. स्वामी जी ने बक्सर को "सिद्धाश्रम" की उपाधि दी और कहा कि यह भूमि अन्य किसी भी तीर्थ स्थल से अद्वितीय है.
स्वामी जी ने बक्सर के 12 कोस क्षेत्र के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि इस क्षेत्र के संवर्धन की आवश्यकता है. उन्होंने बक्सर के तीर्थ स्थलों के विकास की बात की, साथ ही विश्राम सरोवर की दुर्दशा पर चिंता जताई. स्वामी जी ने संतों से आह्वान किया कि बक्सर के धार्मिक स्थल पुनः सजीव और समृद्ध हों.
स्वामी जी ने पंचकोशी यात्रा के महत्व को भी बताया. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति इस यात्रा को करता है, वह परम पद प्राप्त करता है और मृत्यु के बाद भगवान के लोक में जाता है. यह यात्रा बक्सर के धार्मिक उत्थान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
इस धार्मिक आयोजन में श्रद्धालु बक्सर की महिमा सुनकर अपने जीवन को धन्य महसूस कर रहे हैं और गंगा के तट पर भक्ति के रस में डूबे हुए हैं.
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