तारांकित प्रश्न के माध्यम से ऊर्जा मंत्री से सवाल किया कि डुमराँव टेक्सटाइल लिमिटेड (सुता मिल) पर साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड का 2 करोड़ 65 लाख 13 हज़ार 742 रुपये बकाया होने के बावजूद अब तक वसूली क्यों नहीं हुई और न ही इसके निदेशकों के बिजली कनेक्शन काटे गए.
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फोटो साभार : सोशल मीडिया |
- गरीबों के कनेक्शन काटे जा रहे, डुमराँव टेक्सटाइल पर सख्ती नहीं
- डुमरांव विधायक ने विधानसभा में उठाया मामला
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान डुमराँव विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह ने सरकार पर बिजली बिल वसूली में दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने सदन में तारांकित प्रश्न के माध्यम से ऊर्जा मंत्री से सवाल किया कि डुमराँव टेक्सटाइल लिमिटेड (सुता मिल) पर साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड का 2 करोड़ 65 लाख 13 हज़ार 742 रुपये बकाया होने के बावजूद अब तक वसूली क्यों नहीं हुई और न ही इसके निदेशकों के बिजली कनेक्शन काटे गए.
विधायक ने कहा कि डुमरांव टेक्सटाइल मिल के निदेशकों, जिनमें डुमरांव राज परिवार के कमल सिंह और चन्द्रविजय सिंह सहित पवन कुमार पटवारी, जयशंकर मिश्रा, विश्वभर लाल पटवारी और रोहित पटवारी शामिल हैं, पर वर्षों से बकाया है, लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही.
सरकार का जवाब और सवालों के घेरे में नीति
विधायक का कहना है कि उनके सवाल पर सरकार ने जवाब दिया कि नीलामवाद केस संख्या 24/2014-15 के तहत वसूली प्रक्रिया जारी है, और एक बार फिर से नोटिस जारी किया गया है. हालांकि, 2022 में भी यही जवाब दिया गया था, लेकिन अब तक वसूली नहीं हुई. दूसरी ओर, गरीब उपभोक्ताओं के बकाया होने पर बिजली कंपनियां तेजी से उनके कनेक्शन काट रही हैं.
विधायक ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में बिजली बिल वसूली में स्पष्ट भेदभाव किया जा रहा है. गरीब उपभोक्ताओं और रसूखदारों के लिए अलग-अलग नियम लागू किए जा रहे हैं.
गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों को छूट
बिजली कंपनियां आम उपभोक्ताओं पर तो त्वरित कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन बड़े बकायेदारों के प्रति नरमी बरती जा रही है. विधायक ने सवाल उठाया कि डुमराँव टेक्सटाइल मिल के निदेशकों का बिजली कनेक्शन आज तक क्यों नहीं काटा गया, जबकि गरीबों के घरों में बिजली काटी जा रही है?
उन्होंने सरकार पर गरीब विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव में जनता इसका जवाब देगी. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बिजली कंपनियों की नीति में सुधार नहीं हुआ, तो इसे बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा.
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