वीडियो : फाग गायन की परंपरा को जीवंत रख रहे रामपुर के लोग

पारंपरिक आयोजन में बक्सर के मशहूर चिकित्सक डॉ. नीलमणि राय, प्रसिद्ध ट्रांसपोर्टर अनिल कुमार राय सहित कई गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे. सभी ने रामपुर की इस सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने वाले युवाओं की सराहना की और इसे होली उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया.












                                           



  • बुजुर्गों के साथ कदमताल कर रहे युवा
  • बक्सर शहर में गूंजा पारंपरिक फगुआ गायन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत ग्राम रामपुर के निवासी एक अनूठी परंपरा को जीवंत बनाए हुए हैं. यहां के बुजुर्ग और युवा मिलकर लुप्त हो रही फाग गायन परंपरा को संजोने का कार्य कर रहे हैं. इस बार रामपुर के बुजुर्गों और युवाओं की टोली गायत्री नगर स्थित भाजपा नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता राजा राय के निजी आवास पर पहुंची और अपनी प्रस्तुति से वहां मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस पारंपरिक गायन को देखने के लिए आसपास के मोहल्लों और शहरवासियों की भीड़ जुट गई. लोगों ने इस आयोजन की जमकर प्रशंसा की और इसे संस्कृति को संजोने का अनूठा प्रयास बताया.

गायन की जुगलबंदी ने मोहा मन

होली के इस उत्सव में रामपुर के वरिष्ठ फाग गायक अखिलेश राय, अभय नारायण राय, अनोखेलाल राय, शशि राय, मदन मोहन राय, भरत राय, विनोद राय जैसे अनुभवी गायक शामिल रहे. इनके साथ युवा पीढ़ी से प्रभास राय (झब्बन राय), सोनल राय, सौरभ राय, लक्की राय, रजनीश राय, सम्मी राय, सन्नी राय ने सुर मिलाकर समा बांध दिया.

गायन का अंदाज ऐसा था कि बगल से गुजरने वाले लोग भी ठिठक कर इसे देखने-सुनने के लिए रुक गए. पूरे माहौल में गांव की यादें ताजा हो गईं और वहां उपस्थित लोग भी इस उत्सव का आनंद लेने लगे. पारंपरिक फगुआ गायन की धुनों ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया.

गणमान्य लोगों की रही सहभागिता

इस पारंपरिक आयोजन में बक्सर के मशहूर चिकित्सक डॉ. नीलमणि राय, प्रसिद्ध ट्रांसपोर्टर अनिल कुमार राय सहित कई गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे. सभी ने रामपुर की इस सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने वाले युवाओं की सराहना की और इसे होली उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया.

फाग गायन की यह परंपरा केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति को संजोने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम भी है. इस तरह के आयोजन यह साबित करते हैं कि अगर युवा पीढ़ी अपनी जड़ों को सहेजने का प्रयास करे, तो कोई भी परंपरा विलुप्त नहीं हो सकती.

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