ढोल झाल की धुन पर फगुआ गीतों से गूंज उठा गांव

बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विलुप्त होती पारंपरिक फगुआ गायन परंपरा को पुनर्जीवित करना है. ग्रामीण अंचलों में होली का विशेष महत्व होता है, और फगुआ गीतों के बिना इसकी कल्पना अधूरी मानी जाती है. इस बार भी देहाती फगुआ को बढ़ावा देने के लिए दो गांवों के सैकड़ों कलाकारों को आमंत्रित किया गया था.










                                           

  • पारंपरिक फगुआ गायन से सजी होली की महफिल
  • दो गांवों की टीमों ने प्रस्तुत किए रंगारंग गीत

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : रंगों के त्योहार होली का असली आनंद ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है. जब गांवों में पारंपरिक फगुआ गीतों की धुन गूंजती है, तो माहौल पूरी तरह रंगीन हो जाता है. इसी परंपरा को जीवंत बनाए रखने के लिए सिमरी प्रखंड के बलिहार गांव स्थित इटवा टोला शिव मंदिर प्रांगण में भव्य फगुआ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर हरिकिशुनपुर और बलिहार गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने एकत्र होकर पारंपरिक होली गीतों का आनंद लिया और एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं.

संगीत की धुन पर झूमे ग्रामीण

इस पारंपरिक होली मिलन समारोह का आयोजन स्थानीय समाजसेवी टनटन सिंह और भरत सिंह द्वारा किया गया. आयोजनकर्ताओं ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विलुप्त होती पारंपरिक फगुआ गायन परंपरा को पुनर्जीवित करना है. ग्रामीण अंचलों में होली का विशेष महत्व होता है, और फगुआ गीतों के बिना इसकी कल्पना अधूरी मानी जाती है. इस बार भी देहाती फगुआ को बढ़ावा देने के लिए दो गांवों के सैकड़ों कलाकारों को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने अपने सुरों से समां बांध दिया.

प्रसिद्ध भोजपुरी कलाकारों ने बिखेरा रंग

इस कार्यक्रम में भोजपुरी संगीत के जाने-माने कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. भोजपुरी गायक चंदन यादव, महावीर पांडेय, कैलाश पांडेय, संदीप पांडेय और विजय खरवार जैसे कलाकारों ने पारंपरिक फगुआ गाकर महफिल में चार चांद लगा दिए. इनके सुरों पर उपस्थित लोग झूमने को मजबूर हो गए. लोक संगीत की मिठास और ढोल-झाल की थाप ने वातावरण को पूरी तरह होलीमय बना दिया.

गांव की संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास

आयोजनकर्ता टनटन सिंह ने बताया कि पारंपरिक फगुआ गायन अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रहा है, जिसे बचाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी आधुनिक संगीत की ओर ज्यादा आकर्षित हो रही है, जिससे पारंपरिक लोकगीतों का चलन कम होता जा रहा है. ऐसे में इस आयोजन का उद्देश्य फगुआ की समृद्ध परंपरा को संजोए रखना और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना था.

सैकड़ों लोगों की रही मौजूदगी

फगुआ महोत्सव में दो गांवों से सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया और इस पारंपरिक उत्सव का आनंद उठाया. आयोजन में क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यवसायी कृष्णा सिंह, पैक्स अध्यक्ष सुनील सिंह, उपमुखिया गोलू सिंह, पूर्व मुखिया विष्णुदेव सिंह, बजरंगी सिंह, बिनोद सिंह, सोना सिंह, ब्रह्मा सिंह, अवधेश गुप्ता, छोटक पांडेय, गादा सिंह, वशिष्ठ सिंह, मुखिया धर्मराज चौरसिया सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

पारंपरिक संगीत, होली की उमंग और सौहार्द्र के इस संगम ने ग्रामीणों को उत्सव का भरपूर आनंद दिया. आयोजकों ने भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों को जारी रखने की बात कही, ताकि लोक संस्कृति की ये अनमोल धरोहर अगली पीढ़ियों तक पहुंचे.











Post a Comment

0 Comments