बलिहार हाई स्कूल खेल मैदान : मनरेगा से बदली तस्वीर, अब सफलता की रेस में दौड़ेंगे गांव के बच्चे ..

मैदान में बास्केटबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी, फुटबॉल, रनिंग ट्रैक, हाई जंप और लॉन्ग जंप की समुचित व्यवस्था की गई है. ग्रामीण क्षेत्र में स्थित इस विद्यालय के छात्र अब शारीरिक शिक्षा और खेल प्रतियोगिताओं में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे.






                                           







  • मनरेगा मजदूरों की मेहनत से 14.70 लाख रुपये की लागत से हुआ निर्माण
  • खेलों की दुनिया में ग्रामीण प्रतिभाओं को मिलेगा नया मंच 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के बलिहार हाई स्कूल में खेल प्रतिभाओं को निखारने के उद्देश्य से एक अत्याधुनिक खेल मैदान का निर्माण किया गया है. इस मैदान में बास्केटबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी, फुटबॉल, रनिंग ट्रैक, हाई जंप और लॉन्ग जंप की समुचित व्यवस्था की गई है. ग्रामीण क्षेत्र में स्थित इस विद्यालय के छात्र अब शारीरिक शिक्षा और खेल प्रतियोगिताओं में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे.

बलिहार पंचायत के उप मुखिया गोलू सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मैदान बिहार सरकार की ‘खेल मैदान निर्माण योजना’ के तहत तैयार किया गया है. निर्माण कार्य को मनरेगा मजदूरों के श्रम से पूरा किया गया है. कुल 14 लाख 70 हजार रुपये की लागत से यह परियोजना पूरी हुई है. उन्होंने बताया कि पहले इस क्षेत्र के विद्यार्थियों के पास खेल गतिविधियों के लिए उचित संसाधन नहीं थे, लेकिन अब यह मैदान उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करेगा.

उन्होंने बलिहार हाई स्कूल के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में भी एक मिसाल रहा है. इसकी स्थापना आजादी से पूर्व सन 1942 में हुई थी. तब से लेकर आज तक इस विद्यालय से सैकड़ों छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर देश-विदेश में अपना परचम लहरा चुके हैं. गांवों के ऐसे अनेक विद्यार्थी हैं जो इस स्कूल से पढ़ाई करने के बाद आज अच्छे पदों पर कार्यरत हैं.

उप मुखिया ने आगे कहा कि खेल मैदान का निर्माण इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को खेलों में भी भविष्य बनाने का अवसर मिलेगा. उन्होंने यह भी अपील की कि स्कूल प्रबंधन एवं स्थानीय लोग इस मैदान की देखरेख में सहयोग करें, ताकि यह लंबे समय तक उपयोगी बना रहे.

स्थानीय लोगों ने भी इस पहल की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि इससे बच्चों की शारीरिक क्षमता में विकास होगा और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. अब यह खेल मैदान केवल एक स्थान नहीं, बल्कि क्षेत्र की नई प्रतिभाओं को गढ़ने वाली प्रयोगशाला बन चुका है.








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