ग्रीन डे पर बच्चों ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश ..

ऑडिटोरियम हरे रंग की सजावट, पौधों और बच्चों की पर्यावरण से जुड़ी कलाकृतियों से सजा हुआ था. नर्सरी से कक्षा दो तक के बच्चों ने पेड़-पौधों और हरियाली के महत्व पर छोटे-छोटे वाक्यों के साथ अपने विचार रखे. 










                                           







  • फाउंडेशन स्कूल बक्सर में आयोजित हुआ प्रेरक कार्यक्रम
  • नर्सरी से कक्षा दो तक के बच्चों ने स्लोगन, कविता और नाट्य रूपांतरण से मोहा मन 

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : फाउंडेशन स्कूल, बक्सर में मंगलवार को ‘ग्रीन डे’ के अवसर पर एक प्रेरणास्पद और जागरूकता से भरपूर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर नन्हे बच्चों ने अपने मासूम शब्दों, जोशीले नारों और रंग-बिरंगे परिधानों के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें मुख्य अतिथि जयराम चौधरी, प्रधानाचार्य मनोज त्रिगुण, एस.के. दुबे (अकादमिक एक्सीलेंस) और वरिष्ठ शिक्षिकाओं अनुपमा पाठक, सोनी भारती, पूनम त्रिगुण, आयशा खातून, चंचल श्रीवास्तव, साक्षी, आकांक्षा, दीक्षा, कल्याणी कुमारी, पूजा देवी, पूजा पांडे, कंचन देवी और संगीता सिंह ने संयुक्त रूप से भाग लिया.

विद्यालय का ऑडिटोरियम हरे रंग की सजावट, पौधों और बच्चों की पर्यावरण से जुड़ी कलाकृतियों से सजा हुआ था. नर्सरी से कक्षा दो तक के बच्चों ने पेड़-पौधों और हरियाली के महत्व पर छोटे-छोटे वाक्यों के साथ अपने विचार रखे. बच्चों ने ‘सेव ट्री, सेव लाइफ’, ‘ग्रीन कलर ऑफ पीस’ और ‘पेड़ हैं तो हरियाली है’ जैसे नारों के माध्यम से दर्शकों को जागरूक किया.

कार्यक्रम के अंतिम चरण में सभी बच्चों ने मिलकर जोश के साथ नारा दिया – "पेड़ बचाओ, धरती बचाओ, हरियाली लाओ!". बच्चों द्वारा प्रस्तुत लघु कविताएं, नाट्य झलकियां और स्लोगन इस बात का प्रमाण थे कि पर्यावरण की रक्षा का बीज बचपन से ही बोया जाना चाहिए.

अभिभावकों, विशेष रूप से माताओं की भारी उपस्थिति रही, जिन्होंने बच्चों की प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साहवर्धन किया. कई अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन को ऐसे आयोजनों के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि आज के समय में बच्चों को मोबाइल से हटाकर प्रकृति से जोड़ने की यह एक सराहनीय पहल है.

प्रधानाचार्य मनोज त्रिगुण ने अपने संबोधन में कहा – 

हरा रंग केवल रंग नहीं, यह जीवन, ऊर्जा, संतुलन और शांति का प्रतीक है. यदि हम आज बच्चों में पर्यावरण के प्रति समझ विकसित करें, तो भविष्य निश्चित ही उज्ज्वल और सुरक्षित होगा.

कार्यक्रम की सफलता का श्रेय विद्यालय की शिक्षिकाओं, बच्चों की सहभागिता और अभिभावकों के सहयोग को दिया गया. ग्रीन डे ने यह साबित कर दिया कि परिवर्तन की शुरुआत नन्हे हाथों से भी हो सकती है.








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