बक्सर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुर प्रखंड स्थित बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ देखी गई. रामरेखा घाट से गंगाजल भरकर श्रद्धालु कांवर यात्रा करते हुए वहां पहुंचे. अहले सुबह से करीब 500 मीटर लंबी कतार लगी थी. अनुमान है कि इस सोमवारी को लगभग 50 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा को जल चढ़ाया.
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बाबा रामेश्वर नाथ |
- ब्रह्मेश्वरनाथ और रामेश्वरनाथ समेत ग्रामीण मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब, गंगा जल लेकर पहुंचे श्रद्धालु
- छोटका नुआंव गांव के सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में भी हुई विशेष पूजा, श्रीराम से जुड़ी मान्यता है स्थल की पहचान
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सावन मास की पहली सोमवारी पर पूरा बक्सर जिला शिवमय हो उठा. सुबह तीन बजे से ही शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी. रामरेखा घाट से गंगा जल लेकर हजारों कांवरियों ने बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ, रामेश्वरनाथ, जंगलीनाथ, सोखाधाम, कंचनेश्वर, लंगटू महादेव समेत विभिन्न शिव मंदिरों में जलाभिषेक किया. पूरा क्षेत्र ‘हर-हर महादेव’ और ‘बोल बम’ के गगनभेदी नारों से गुंजायमान रहा.
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बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ |
बक्सर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुर प्रखंड स्थित बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ देखी गई. रामरेखा घाट से गंगाजल भरकर श्रद्धालु कांवर यात्रा करते हुए वहां पहुंचे. अहले सुबह से करीब 500 मीटर लंबी कतार लगी थी. अनुमान है कि इस सोमवारी को लगभग 50 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा को जल चढ़ाया. इस मंदिर को मनोकामना महादेव के रूप में जाना जाता है और मान्यता है कि यहां जलाभिषेक करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
ब्रह्मपुर बाजार के सभी मार्गों को प्रशासन ने बंद कर ड्रॉप गेट और बैरिकेडिंग की व्यवस्था की थी. सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. पुलिस, होमगार्ड, दंडाधिकारी और महिला सिपाहियों की तैनाती के साथ यातायात के लिए वैकल्पिक मार्ग तय किए गए थे.
इसी तरह, बक्सर नगर क्षेत्र के रामरेखा घाट के पास रामेश्वरनाथ मंदिर में भी सुबह से ही श्रद्धालु उमड़ पड़े. मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से की थी. यहां श्रद्धालु गंगा जल और दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी भारी संख्या में पूजा में शामिल हुए.
रामरेखा घाट पर रविवार की रात से ही गंगाजल लेने के लिए भीड़ उमड़ने लगी थी. उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर श्रद्धालु भक्ति गीतों के साथ झूमते हुए मंदिरों की ओर बढ़े. घाट पर भी प्रशासन ने सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की थी.
डुमरांव के पूर्वी छोर पर स्थित जंगलीनाथ मंदिर में भी हजारों श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया. भक्तों ने दूध, भांग, बेल पत्र, मंदार पुष्प, शमी पत्र आदि अर्पित कर भगवान शिव से परिवार सुख-शांति की कामना की. अहले सुबह से दोपहर तक मंदिर जाने वाले मार्गों पर भीड़ लगी रही.
उधर, बक्सर सदर प्रखंड के छोटका नुआंव गांव स्थित प्राचीन सिद्धेश्वरनाथ महादेव मंदिर में भी गंगा जल लेकर श्रद्धालु पहुंचे. सुबह 4 बजे से ही जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हुआ, जो दिनभर चलता रहा. शाम को विशेष आरती का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने सामूहिक भागीदारी की.
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बाबा सिद्धेश्वर नाथ |
स्थानीय समाजसेवी अजय यादव ने बताया कि यह स्थल महर्षि उद्यालक का आश्रम रहा है, और त्रेता युग में भगवान श्रीराम यहां पंचकोसी परिक्रमा के दौरान पहुंचे थे. उन्होंने यहीं शिवलिंग की पूजा की थी और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया था. आज भी यह परंपरा जीवित है.
श्रद्धालु विक्की कुमार ने बताया कि इस मंदिर का शिवलिंग अद्वितीय है क्योंकि यहां भगवान शिव माता पार्वती और पूरे परिवार सहित विराजमान हैं. यहां पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. श्रद्धालु बक्सर, आरा, रोहतास, कैमूर और उत्तर प्रदेश के बलिया, गाजीपुर जैसे जिलों से भी यहां पहुंचते हैं.
सावन की पहली सोमवारी को लेकर मंदिरों में सुंदर सजावट की गई थी. फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से पूरे परिसर को सजाया गया था. हर तरफ शिव भक्ति का रंग दिखाई दिया और भक्तों ने शिव की आराधना में पूरा दिन बिताया.
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