समझौते के बाद खत्म हुआ नगर परिषद के खिलाफ चल रहा धरना, 26 सितंबर तक समाधान का वादा ..

प्रशासन ने लिखित रूप से आश्वासन दिया कि नागरिकों की सभी 28 सूत्री मांगों पर स्पष्ट जवाब दिया जाएगा. इन मांगों में 2015 से 2025 तक का टैक्स खाता मिलान कर रिपोर्ट सौंपना, इलाहाबाद बैंक के पास जर्जर सड़क की मरम्मत, शहरी बस्तियों में नाला और सड़कों का निर्माण, होल्डिंग टैक्स की बढ़ोतरी की समीक्षा और नगर परिषद बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णयों की प्रतिलिपि उपलब्ध कराना शामिल है. 




                                         






  • 28 सूत्री मांगों पर लिखित आश्वासन, सड़क-नाला निर्माण से लेकर टैक्स मिलान तक शामिल
  • 27 सितंबर से फिर आंदोलन की चेतावनी, कहा- अस्थायी है समझौता

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नागरिकों की लंबित मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच सोमवार को धरनास्थल पर आंदोलनकारियों और प्रशासन के बीच सहमति बन गई. बातचीत के बाद यह तय हुआ कि 26 सितंबर तक समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाएगा. फिलहाल आंदोलन स्थगित कर दिया गया है, लेकिन आंदोलनकारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि तय समय सीमा में कार्रवाई नहीं हुई तो 27 सितंबर से धरना पुनः शुरू होगा और इस बार पहले से भी बड़े स्तर पर होगा.

समझौते के दौरान प्रशासन ने लिखित रूप से आश्वासन दिया कि नागरिकों की सभी 28 सूत्री मांगों पर स्पष्ट जवाब दिया जाएगा. इन मांगों में 2015 से 2025 तक का टैक्स खाता मिलान कर रिपोर्ट सौंपना, इलाहाबाद बैंक के पास जर्जर सड़क की मरम्मत, शहरी बस्तियों में नाला और सड़कों का निर्माण, होल्डिंग टैक्स की बढ़ोतरी की समीक्षा और नगर परिषद बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णयों की प्रतिलिपि उपलब्ध कराना शामिल है. इसके अलावा दैनिक वेतन कर्मियों व लेखपाल से जुड़े आदेशों की कॉपी भी उपलब्ध कराने पर सहमति बनी.

धरना स्थल पर हुई इस बातचीत में समाजिक मंच के संयोजक प्रदीप शरण, लल्लू खां और अमित कुमार मौजूद रहे. आंदोलनकारियों ने कहा कि यह सिर्फ एक अस्थायी सहमति है. प्रशासन ने अगर ईमानदारी से कदम नहीं उठाया तो 27 सितंबर से शहर में फिर से आंदोलन की गूंज सुनाई देगी.

इस दौरान लाजपत सिंह, अजय प्रताप सिंह, भरत प्रसाद, दिलीप प्रसाद, अमरनाथ केसरी, ग्रामीन हजारी समेत बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक उपस्थित रहे. अब पूरा शहर इंतजार कर रहा है कि क्या प्रशासन तय सीमा तक अपने वादे निभा पाएगा या फिर एक बार फिर आंदोलन की तपिश बढ़ेगी.







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