कहा कि भगवान वामन विष्णु के पांचवें अवतार हैं, जिन्होंने दैत्यराज बलि का अहंकार चूर कर धर्म की पुनर्स्थापना की थी. उन्होंने बताया कि वामन भगवान का जन्म माता अदिति और कश्यप ऋषि के पुत्र रूप में हुआ था. डॉ मिश्रा ने श्रद्धालुओं से कहा कि वामन स्तोत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
- भक्तिभाव और गाजे-बाजे के साथ निकली शोभायात्रा, उमड़ा जनसैलाब
- वामन जन्मस्थली बक्सर की पहचान को दी ऐतिहासिक व्याख्या
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : वामन द्वादशी के पावन अवसर पर गुरुवार को बक्सर में वामन चेतना मंच की ओर से भव्य रथयात्रा का आयोजन किया गया. रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ महादेव मंदिर प्रांगण से गाजे-बाजे और भक्तिमय माहौल में निकली इस रथयात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए. आयोजन की विशेषता यह रही कि प्रसिद्ध चिकित्सक एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ राजेश मिश्रा भी इसमें सम्मिलित हुए और श्रद्धालुओं को वामन भगवान के अवतार की महत्ता से अवगत कराया.
सुबह लगभग 9 बजे शुरू हुई यह रथयात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से गुज़री. इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर रथ का स्वागत किया. डॉ मिश्रा ने मौके पर कहा कि भगवान वामन विष्णु के पांचवें अवतार हैं, जिन्होंने दैत्यराज बलि का अहंकार चूर कर धर्म की पुनर्स्थापना की थी. उन्होंने बताया कि वामन भगवान का जन्म माता अदिति और कश्यप ऋषि के पुत्र रूप में हुआ था. डॉ मिश्रा ने श्रद्धालुओं से कहा कि वामन स्तोत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
उन्होंने आगे कहा कि वामन अवतार का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण और वामन पुराण सहित कई शास्त्रों में मिलता है. उपनिषदों में वामन भगवान को आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक माना गया है. डॉ मिश्रा ने यह भी रेखांकित किया कि बक्सर का ऐतिहासिक महत्व वामन अवतार से सीधा जुड़ा है. श्रद्धालु मानते हैं कि यहीं सिद्धाश्रम (वर्तमान बक्सर) की धरा पर भगवान वामन ने अवतार लिया था. यही कारण है कि बक्सर "वामन जन्मस्थली" और "वामनाश्रम" के रूप में विख्यात है.
गौरतलब है कि आज भी बक्सर सेंट्रल जेल परिसर में वामनेश्वरनाथ शिवलिंग स्थापित है, जो इस मान्यता को जीवंत बनाए हुए है.
इस अवसर पर डॉ मिश्रा के साथ उनके समर्थक उदय दुबे उर्फ चुन्नू दुबे, जयशंकर सिंह, मुनिदेव दुबे, अश्विनी सिन्हा, रविन्द्र दुबे, रंजीत सिंह, अनमोल राय, प्रवीण कुमार, संदीप केसरी, गोलू पंडित और अश्विनी ओझा मौजूद रहे. श्रद्धालुओं की भारी भागीदारी ने इसे भक्ति और सांस्कृतिक आस्था का अद्भुत संगम बना दिया.
0 Comments