डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को पुनर्जीवित करने वाले महान समाज सुधारक कांशीराम को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने अपने जीवन में सदैव गरीब, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ी.
- चौसा में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया 18वां परिनिर्वाण दिवस
- डॉ. मनोज कुमार यादव बोले – सामाजिक न्याय और समानता के मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : चौसा थर्मल पावर मजदूर यूनियन के कार्यालय में गुरुवार को बामसेफ, डी.एस.4 और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम का 18वां परिनिर्वाण दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में मजदूर यूनियन के सदस्य और स्थानीय लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम का शुभारंभ कांशीराम के तैल चित्र पर पुष्पांजलि और माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए किया गया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता चौसा थर्मल पावर मजदूर यूनियन के महामंत्री एवं पूर्व जिला पार्षद अधिवक्ता डॉ. मनोज कुमार यादव ने की. उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को पुनर्जीवित करने वाले महान समाज सुधारक कांशीराम को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने अपने जीवन में सदैव गरीब, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ी. उनका संघर्ष सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक क्रांति का प्रतीक था.
डॉ. यादव ने कहा कि आज देश के युवाओं को कांशीराम के विचारों और सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर सामाजिक न्याय और समानता के मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि समाज तभी सशक्त बनेगा जब हम उनके बताए रास्ते पर चलेंगे और सभी वर्गों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करेंगे.
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि कांशीराम ने समाज के वंचित वर्गों को संगठित कर यह दिखा दिया कि यदि एकजुटता और आत्मसम्मान हो तो कोई भी वर्ग कमजोर नहीं रह सकता. उनके विचार आज भी सामाजिक चेतना का आधार हैं और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं.
इस अवसर पर विजय राम, राम प्रवेश राजभर, गोविंद खरवार, विनोद कुमार सिंह, राम लखन पाल, अधिवक्ता सुनील कुमार यादव, राम आशीष कुशवाहा, शिव शंकर राम, कन्हैया प्रसाद मालाकार, सैयद नसीम अख्तर, सलीम शाह, नसीम शाह, भारत पांडे, रामेश्वर चौहान, दीपक चौधरी, वीरेंद्र राम, परमेश्वर सिंह, सत्येंद्र कुशवाहा, हरिशंकर राम, इंजीनियर नितेश उपाध्याय, समीर नाथ, दिलबहार चौधरी और बोदा माली समेत कई लोग मौजूद रहे. सभी ने मिलकर कांशीराम के विचारों को समाज में प्रसारित करने का संकल्प लिया.
यह कार्यक्रम केवल श्रद्धांजलि सभा नहीं बल्कि सामाजिक एकजुटता, जागरूकता और समानता का संदेश देने वाला आयोजन साबित हुआ.
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