प्रदीप शरण ने शुक्रवार को नामांकन प्रपत्र खरीद लिया और घोषणा की कि वे 17 अक्टूबर को नामांकन करेंगे. उन्होंने कहा कि “विधायक का कार्यकाल जनता के साथ धोखा साबित हुआ है. उन्होंने न जनता का भरोसा निभाया, न पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान किया.”

- वामपंथी ट्रेड यूनियन के वरिष्ठ नेता प्रदीप शरण ने विधायक अजीत सिंह कुशवाहा को बताया असफल जनप्रतिनिधि.
- 17 अक्टूबर को करेंगे नामांकन, बोले– जनता बदलाव चाहती है, मैं उस बदलाव की आवाज हूं.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : डुमरांव विधानसभा में इस बार का चुनावी संग्राम बेहद दिलचस्प होने वाला है. वामपंथी ट्रेड यूनियन के वरिष्ठ नेता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप शरण ने अपनी ही पार्टी के विधायक अजीत सिंह कुशवाहा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ठठेरी बाजार निवासी 65 वर्षीय प्रदीप शरण ने शुक्रवार को नामांकन प्रपत्र खरीद लिया और घोषणा की कि वे 17 अक्टूबर को नामांकन करेंगे. उन्होंने कहा कि “विधायक का कार्यकाल जनता के साथ धोखा साबित हुआ है. उन्होंने न जनता का भरोसा निभाया, न पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान किया.”
प्रदीप शरण ने आरोप लगाया कि विधायक हर मोर्चे पर विफल रहे हैं — चाहे होल्डिंग टैक्स का मुद्दा हो, डुमरांव नगर की गंदगी हो या अधूरे पड़े विकास कार्य, जनता अब सब समझ चुकी है. उन्होंने कहा कि अब वे जनता के असली मुद्दों को लेकर मैदान में उतरेंगे और “ठगने वालों को हराकर ही दम लेंगे.”
जनआंदोलनों से निकला नाम, हर शोषण के खिलाफ उठाई आवाज
प्रदीप शरण डुमरांव क्षेत्र में हर शोषण, अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर आवाज के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने नगर परिषद की मनमानी टैक्स वसूली, अनुमंडल अस्पताल की बदहाल व्यवस्था, काव नदी की सफाई, प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ियों और हर घर नल-जल योजना की कमजोर क्रियान्वयन पर लगातार सवाल उठाए हैं. वे ‘सामाजिक मंच’ नामक संस्था के संस्थापक भी हैं, जो गरीबों और वंचितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ती है.
उनका सामाजिक जीवन 1974 के छात्र आंदोलन से शुरू हुआ था. ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और ‘राइट टू एजुकेशन’ जैसे अभियानों में वे सक्रिय रहे. उनका नारा “हर बच्चे का है अधिकार – रोटी, खेल, पढ़ाई और प्यार” आज भी युवाओं में प्रेरणा जगाता है. उन्होंने नोनियांडेरा गांव में गरीबों के लिए सड़क, बिजली, मकान और नाली जैसी सुविधाएं दिलाने के लिए कई आंदोलन किए.
नशाखोरी, भ्रष्टाचार और बाल श्रम के खिलाफ मोर्चा
प्रदीप शरण वर्षों से नशाखोरी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा और बाल श्रम के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने डुमरांव में स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों के आसपास शराब की दुकानों को बंद कराने की मुहिम चलाई थी. उनकी प्रेरणा से कई युवाओं ने नशे की लत छोड़ी और समाज सेवा से जुड़े.
उन्होंने केसर-ए-हिंद की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए एक सप्ताह तक धरना दिया था, जिसके बाद प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी. फिलहाल वे अनुसूचित बस्ती में सामुदायिक शौचालय और निराश्रितों के लिए पक्के मकान की मांग को लेकर संघर्षरत हैं.
“नेताओं ने समाज से मुंह मोड़ लिया, मैं आखिरी सांस तक लड़ूंगा”
प्रदीप शरण को उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता के लिए जिला विकास समन्वय निगरानी समिति में सामाजिक कोटे से सदस्य मनोनीत किया गया है. वे कहते हैं
“लोकनायक जयप्रकाश नारायण की राजनीति अब खत्म हो चुकी है. आज के नेता जनता के दर्द से दूर हो गए हैं. लेकिन मैं तब तक लड़ता रहूंगा, जब तक समाज से अन्याय और भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो जाता.”
डुमरांव की सियासत में प्रदीप शरण की यह चुनौती बड़ा राजनीतिक संदेश देती है. अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता पुराने जनप्रतिनिधि पर भरोसा करती है या एक अनुभवी समाजसेवी को मौका देती है.
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