न मिलने से नाराज़ सफाईकर्मियों और वाहन चालकों ने छबिल कब्रिस्तान के पास दर्जनों कचरा उठाने वाली गाड़ियां और ट्रैक्टर खड़े कर काम ठप कर दिया. कर्मियों का आरोप है कि पिछले दो महीनों से उन्हें वेतन नहीं मिला है, जबकि एनजीओ से जुड़े कई सफाईकर्मियों का वेतन तीन से चार माह से लंबित है.

दो माह से वेतन लटका, एनजीओ पर तीन से चार माह रोकने का आरोप
1 करोड़ 18 लाख के टेंडर के बावजूद भुगतान में देरी, घपले की आशंका
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर परिषद क्षेत्र में शुक्रवार सुबह एक बार फिर सफाई व्यवस्था चरमरा गई. वेतन न मिलने से नाराज़ सफाईकर्मियों और वाहन चालकों ने छबिल कब्रिस्तान के पास दर्जनों कचरा उठाने वाली गाड़ियां और ट्रैक्टर खड़े कर काम ठप कर दिया. कर्मियों का आरोप है कि पिछले दो महीनों से उन्हें वेतन नहीं मिला है, जबकि एनजीओ से जुड़े कई सफाईकर्मियों का वेतन तीन से चार माह से लंबित है. कचरा उठाव बंद होने से शहर की कई सड़कों पर गंदगी फैलने लगी है.
कर्मचारियों ने बताया कि हाजिरी मनमाने तरीके से लगाई जा रही है. मेहनत करने के बावजूद वेतन में कटौती कर दी जाती है. उनका कहना है कि सफाई के लिए 1 करोड़ 18 लाख रुपये का टेंडर होने के बावजूद भुगतान समय पर नहीं हो रहा, जो किसी बड़े घपले की ओर संकेत करता है. कर्मियों ने साफ कहा कि जब तक बकाया वेतन नहीं दिया जाता, सफाई कार्य बहाल नहीं होगा.
नाम न छापने की शर्त पर एक वार्ड पार्षद ने बताया कि कार्यपालक पदाधिकारी एनजीओ का बिल समय पर पास नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण हर महीने वेतन वितरण में देरी हो जाती है. उन्होंने याद दिलाया कि दीपावली के दौरान भी सफाईकर्मी हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन आदर्श आचार संहिता का हवाला देकर हड़ताल वापस कराई गई थी. इसके बाद भी नगर परिषद की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है.
शहरवासियों को सुबह से ही भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. कई वार्डों में कचरा जमा होने लगा है और बदबू बढ़ने लगी है. लोगों का कहना है कि नगर परिषद बार-बार सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने में विफल हो रहा है. लगातार ठप होती सफाई व्यवस्था से नगर परिषद की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.
इस मामले पर नगर परिषद का पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा फोन नहीं उठाए जाने के कारण उनका पक्ष ज्ञात नहीं हो सका.
कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. उनका कहना है कि समस्या का स्थायी समाधान किए बिना वे वापस काम पर नहीं लौटेंगे.






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