वीडियो: एक साथ 10 लोगों का भोजन चट कर जाता है क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहा 21 वर्षीय युवक, हतप्रभ हैं अधिकारी ..

बताया कि, अनूप के लिए यहां विशेष व्यवस्था होती है. चावल में तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उनके अकेले 30-35 रोटी खाने के कारण रोटी सेंकने वालों के भी पसीने छूट जाते हैं. उन्होंने बताया कि तीन-चार दिन पहले केंद्र पर लिट्टी-चोखा बना था और उस दिन वे 83 लिट्टी अकेले खा गए.

- सिमरी प्रखंड के मजबूरी में क्वॉरेंटाइन किए गए हैं खड़हाटांड निवासी अनूप ओझा
- लॉक डाउन हो जाने के बाद, राजस्थान से लौटे हैं गांव, किए गए क्वॉरेंटाइन


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: लॉक डाउन के दौरान कई तरह के ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिन पर सहसा विश्वास नहीं होता. ऐसा ही एक मामला सिमरी प्रखंड के मंझवारी स्थित क्वॉरेंटाइन सेंटर में सामने आया है जहां स्थानीय प्रखंड के हैं रहने वाले एक युवक को क्वॉरेंटाइन किया गया है क्वॉरेंटाइन किए गए युवक की कद-काठी थी तो सामान्य लोगों की तरह ही है पर उसके भोजन का मेन्यु ऐसा है जो अच्छे. अच्छे लोगों को दांतों तले अंगुली दबा देने को मजबूर करें जहाँ उसकी उम्र महज़ 21 साल, कद-काठी सामान्य, वजन 70 किलो और खाना- एक बार में आठ-दस प्लेट चावल या 30-35 रोटी के साथ दाल-सब्जी. यह किसी एथलीट या पहलवान का डायट नहीं है, बल्कि मंझवारी के राजकीय बुनियादी विद्यालय में बने क्वारंटाइन केंद्र में रह रहे प्रवासी युवक अनूप ओझा के भोजन की मात्रा है. युवक के निवाला ने क्वारंटाइन केंद्र की व्यवस्था का दिवाला निकाल दिया है. सामान्य कद-काठी वाले युवक का यह निवाला प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया और अंचलाधिकारी खुद युवक से मिलने पहुंचे.

चुनौती से कम नहीं देखभाल करना

अनूप सिमरी प्रखंड के खरहाटांड़ गांव निवासी गोपाल ओझा के पुत्र हैं और एक सप्ताह पहले क्वारंटाइन केंद्र में आए हैं. लॉकडाउन से पहले वे राजस्थान के भिवाड़ी में रोजी-रोटी की तलाश में गए थे. वहां कुछ काम वे शुरू कर पाते, उससे पहले ही लॉकडाउन लग गया और उसी में वे डेढ़ महीने से ज्यादा समय तक फंसे रहे. एक सप्ताह पहले श्रमिक स्पेशल ट्रेन से वे बक्सर पहुंचे और सिमरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परीक्षण के बाद उन्हें केंद्र में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया. केंद्र में 87 प्रवासी रह रहे हैं, लेकिन उन सभी में अनूप के लिए भरपेट भोजन का इंतजाम करना यहां की देखरेख में जुटे लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.



अनूप के लिए की गई है विशेष व्यवस्था

केंद्र की व्यवस्था देख रहे मझवारी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि प्रमोद कुमार साह ने बताया कि, अनूप के लिए यहां विशेष व्यवस्था होती है. चावल में तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उनके अकेले 30-35 रोटी खाने के कारण रोटी सेंकने वालों के भी पसीने छूट जाते हैं. उन्होंने बताया कि तीन-चार दिन पहले केंद्र पर लिट्टी-चोखा बना था और उस दिन वे 83 लिट्टी अकेले खा गए.


गांव पर भी एक बार में खा जाते थे 100 समोसे


अनूप के खाने की क्षमता कोई क्वारंटाइन केंद्र में आने से नहीं बढ़ी है। इनके गांव में भी इनके खाने और पचाने की क्षमता के चर्चे होते थे. खरहाटांड़ पंचायत के मुखिया विजय कुमार ओझा बताते हैं कि अनूप गांव पर भी कई बार शर्त लगा एक बार में करीब सौ समोसे खा जाते थे. अंचलाधिकारी आमोद राज ने बताया कि अनूप के खाना के बारे में सुनकर वे भी उन्हें देखने पहुंचे और उनकी पाचन शक्ति को देख हैरान रह गए. उन्होंने कहा कि केंद्र पर प्रतिनियुक्त कर्मियों को इन्हें भरपूर भोजन देने का निर्देश दिया गया है. वहीं, अनूप ने बताया कि वे भोजन खूब करते हैं और पचाने के लिए कसरत भी खूब करते हैं, जिससे खाना पचने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती.
वीडियो: 













Post a Comment

0 Comments