तस्वीरें हमेशा सच नहीं बोलती: निजी क्लीनिक की लापरवाही, सरकारी अस्पताल पर उठ रहे सवाल ..

अस्पताल संचालकों ने ऑक्सीजन का एक छोटा पोर्टेबल सिलेंडर भी परिजन को थमा दिया ताकि, उसके सहारे वह बच्चे को लेकर दूसरे अस्पताल तक पहुंच सके. कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर लिए चल रहे उस व्यक्ति को देखकर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी है. 

कंधे पर ऑक्सीजन का सिलेंडर लादकर सदर अस्पताल में घूम रहा व्यक्ति
- बच्चे का इलाज कराने कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर पहुंचा था परिजन
- निजी अस्पताल संचालकों ने परिजन को थमा दिया था ऑक्सीजन सिलेंडर

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकारी व्यवस्था पर सदैव सवाल उठते रहते हैं. लगातार उठने वाले६ सवाल लोगों ने अब ऐसा माहौल बना दिया है जिसके बाद आम जनता को यह लगता है कि सरकारी अस्पतालों में कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मी लोगों की जान बचाने के लिए नहीं बल्कि, उनकी जान लेने के लिए काम करते हैं.

ऐसा ही कुछ उस वक्त हुआ जब अस्पताल में कंधे पर ऑक्सीजन की सिलेंडर रखे हुए एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ अपने मासूम बच्चे की जान बचाने के लिए सदर अस्पताल पहुंच गया. सदर अस्पताल में राजपुर से आए उस व्यक्ति ने बताया कि वह निजी अस्पताल में इलाज करा रहा था जहां चिकित्सकों ने बच्चे की बिगड़ती हालत देते हुए देखते हुए उसे अन्यत्र रेफर कर दिया. यही नहीं अस्पताल संचालकों ने ऑक्सीजन का एक छोटा पोर्टेबल सिलेंडर भी परिजन को थमा दिया ताकि, उसके सहारे वह बच्चे को लेकर दूसरे अस्पताल तक पहुंच सके. कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर लिए चल रहे उस व्यक्ति को देखकर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी है. लेकिन, जब उस सवाल का सही जवाब ढूंढा गया तो जो जानकारी सामने आई उसने यह साबित किया कि निजी अस्पतालों की लापरवाही पर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को कोसा जा रहा था.

इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ से बात करने पर उन्होंने बताया कि राजपुर में किसी निजी क्लीनिक में एक बच्चे का इलाज किया जा रहा था. निजी क्लीनिक संचालक ने बच्चे की हालत बिगड़ने पर उसके परिजनों को अन्यत्र जाने की सलाह दी. निजी क्लीनिक संचालक ने ही उसे ऑक्सीजन सिलेंडर भी दे दिया था जिसे वह कंधे पर लादकर सदर अस्पताल पहुंच गया. लोगों ने जब यह नजारा देखा तो यह समझ बैठे कि वह सदर अस्पताल का ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर इधर-उधर घूम रहा है और उसे इलाज नहीं मिल रहा था. जबकि, ऐसा नहीं था. यही नहीं जैसे ही वह व्यक्ति अस्पताल पहुंचा 5 मिनट के अंदर उसे उचित परामर्श देते हुए एंबुलेंस के द्वारा बेहतर इलाज के लिए पटना भेज दिया गया. हालांकि, जिस निजी अस्पताल के द्वारा इस तरह की संवेदनहीनता की गई है. उसके विरुद्ध जांच करते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी. इस बात से जिला पदाधिकारी को भी अवगत करा दिया गया है. सीएस ने कहा कि हर व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान कराना उनकी पहली प्राथमिकता है.

बहरहाल, बात सिर्फ इतनी सी है कि, जब खाता किसी और की हो तो सजा किसी और को नहीं मिलनी चाहिए ..











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