सज़ावार कैदी की मौत, कोरोना जाँच के बगैर परिजनों को सौंपा शव ..

इसी बीच जब उनकी हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तो उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन, चिकित्सकों के काफी प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. उन्होंने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है.

- सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत पर अस्पताल में कराया गया था भर्ती
- इलाज से पूर्व तथा पोस्टमार्टम के बाद भी नहीं किया जा सका कोरोना टेस्ट

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: केंद्रीय कारा में बंद एक सजावार बंदी की मौत हो गई. कोरोना काल में हुई मौत के बाद  तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे. कई लोग इसे कोरोना से जुड़ी मौत समझ कर दहशत में हो गए. दरअसल, मृतक को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी. जिसके कारण उसे केंद्रीय कारा के अंदर बने अस्पताल में भर्ती कराया गया था .इसी बीच 7 अगस्त की रात तकरीबन 1:30 बजे (6अगस्त-7 अगस्त के मध्य) जब उनकी हालत ज्यादा खराब होने लगी तो उन्हें आनन-फानन में सदर अस्पताल भेजा गया जहां इलाज के क्रम में ही उनकी मौत हो गई. 

घटना के संदर्भ में जानकारी देते हुए केंद्रीय कारा के कारा अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि आरा मंडल कारा से वर्ष 2011 में बक्सर स्थानांतरित किए गए. सज़ावार बंदी लाल बाबू सिंह उर्फ बाबूलाल सिंह(70वर्ष) तकरीबन 1 हफ्ते से सांस लेने में कठिनाई की शिकायत पर जेल अस्पताल में भर्ती कराए गए थे. इसी बीच जब उनकी हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तो उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन, चिकित्सकों के काफी प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. उन्होंने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है.


कोरोना होने के संदेह में दहशत:

कैदी ने जिस प्रकार की शिकायत जेल प्रशासन को बताई थी उसके आधार पर उनके कोरोना संक्रमित होने की चर्चा भी तेजी से फैली. हालांकि, कैदी का मृत्यु के पूर्व तथा मृत्यु के उपरांत भी कोरोना टेस्ट नहीं हुआ. जिससे यह ज्ञात नहीं हो सका कि उसे कोरोना है अथवा नहीं? मृत कैदी का पोस्टमार्टम करने के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया.

बिना जांच कराएं परिजनों को सौंपा शव:

शव  लेने पहुंची मृतक की रिश्तेदार तथा आरा में बतौर अधिवक्ता काम कर रही श्रुति ने बताया कि उन्हें जेल अधीक्षक के द्वारा यह सूचना प्राप्त हुई थी की लालबाबू सिंह की तबीयत खराब है. बाद में यह भी बताया गया कि इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, जिसके बाद वह लोग शव लेने के लिए आए हैं. हालांकि, कोविड-19 होने की बात नहीं बताई जा रही है संभवत: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आए.

कोरोना को लेकर जेल से लेकर अस्पताल प्रशासन तक अनजान:

इस संदर्भ में कारा अधीक्षक राजीव कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा  कि मृतक को कोरोना संक्रमण था अथवा नहीं यह ज्ञात नहीं है कोरोना नहीं कराई गई थी. अस्पताल प्रबंधक दुष्यंत कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि कैदी बहुत ही गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचा था. संभवत: उसकी मौत पूर्व में ही हो चुकी थी. हालांकि, अस्पताल में संभवतः कोरोना टेस्ट नहीं हुआ. इस संदर्भ में सिविल सर्जन के सरकारी नंबर 94700 03163 पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी. हालांकि, बताया जा रहा है कि कैदी को एहतियात के तौर पर  प्लास्टिक के किट में लपेटकर परिजनों को सौंपा गया है.

ऐसे में गंभीर सवाल यह है कि किसी एक कैदी की कोरोना काल में मौत होने के बाद क्या यह जरूरी नहीं है कि उसकी कोरोना जाँच हो जबकि, बिना कोरोना जाँच के किसी भी रोगी का इलाज करने से चिकित्सकों के कतराने की खबरें लगातार सामने आती हैं. ऐसे में यदि मृत कैदी को कोरोना संक्रमण हो तो उसके संपर्क में आए लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन होगा?













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