किडनी रोगियों के लिए सदर अस्पताल में शुरू हुआ डायलिसिस केंद्र ..

अच्छी बात यह भी है कि कहीं और डायलिसिस कराने में लगने वाले भारी-भरकम खर्च से भी उन्हें मुक्ति मिलेगी. दरअसल, निजी अस्पतालों में करीब 2,500 रुपए से 3,500 रुपए प्रति डायलिसिस खर्च आता है. किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगी को सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस करानी पड़ती है. 
 
- निजी एजेंसी को मिला केंद्र के संचालन का जिम्मा 
- आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए कमजोर अनुदान की भी है व्यवस्था

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर अस्पताल में कई महीनों से बंद डायलिसिस केंद्र को एक बार फिर शुरू कर दिया गया है. अस्पताल प्रबंधक दुष्यंत कुमार  ने बताया कि जिला स्वास्थ्य समिति की अनुशंसा पर राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा डायलिसिस केंद्र को फिर से शुरू किया गया है इसके संचालन का जिम्मा एक निजी एजेंसी अपोलो डायग्नोस्टिक को दिया गया है. उन्होंने बताया कि केवल 1745 रुपये के शुल्क पर कंपनी द्वारा डायलिसिस का कार्य किया जाएगा.

बताया जा रहा है कि डायलिसिस केंद्र के फिर से शुरू हो जाने पर किडनी रोगियों को काफी सहूलियत होगी. अच्छी बात यह भी है कि कहीं और डायलिसिस कराने में लगने वाले भारी-भरकम खर्च से भी उन्हें मुक्ति मिलेगी. दरअसल, निजी अस्पतालों में करीब 2,500 रुपए से 3,500 रुपए प्रति डायलिसिस खर्च आता है. किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगी को सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस करानी पड़ती है. 

सरकार ने की है अनुदान की व्यवस्था:

अस्पताल प्रबंधक बताते हैं कि डायलिसिस कराने वाले रोगियों को सरकार की तरफ से अनुदान दिए जाने की व्यवस्था की गई है. हालांकि, पहले उन्हें व्यय का एस्टीमेट बनाना होगा, जिसके बाद उन्हें सचिवालय स्थित स्वास्थ्य विभाग में संपर्क करना होगा. जहां से उनके अनुदान की व्यवस्था करते हुए अनुदान राशि को सिविल सर्जन कार्यालय को उपलब्ध कराया जाएगा.

बता दें कि, डायलिसिस एक जीवन रक्षक तकनीक है. हालांकि, यह एक अस्थायी इलाज है. उल्लेखनीय है कि जब मानव शरीर की दोनों किडनी (गुर्दा) काम करना बंद कर देती हैं, तब उसका कार्य मशीन की सहायता से किया जाता है जिसे डायालिसिस कहते हैं. इस प्रक्रिया के तहत शरीर में जमा होने वाले टॉक्सिन और अतिरिक्त पानी को बाहर निकाला जाता है.

कहते हैं सिविल सर्जन:

राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश  पर डायलिसिस केंद्र को फिर से शुरू कर दिया गया है. इससे किडनी रोगियों को सहूलियत होगी तथा उनके काफी पैसे भी बचेंगे.

डॉ.जितेंद्र नाथ
सिविल सर्जन













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