डुमराँव के प्रमुख खेल मैदानों में जलजमाव के कारण पहली बार नहीं उतरा कोई उड़न खटोला ..

हेलीकॉप्टर पर सवार होकर दर्जनों नेता चुनाव प्रचार के लिए पहुंचते थे और अपनी सभा के दौरान लोगों से मताधिकार के प्रयोग की अपील करते थे. उधर, खेल प्रेमियों का कहना है कि जिला प्रशासन इस चुनाव के दौरान करोड़ों रुपये के खर्च में से अपने कार्य हेतु कुछ राशि जलजमाव के निकासी के लिए जरूर खर्च करेगा जिससे कि खेल मैदान का कल्याण हो लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

 

- स्थानीय लोगों ने जताया रोष कहा पहली बार सभाओं से महरूम रहा मैदान
- खेल प्रेमियों ने भी जताई निराशा, कहा चुनाव में थी जलजमाव से मुक्ति की उम्मीद


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डुमराँव राज हाई स्कूल में तथा सीपीएसएस हाई स्कूल हुए जलजमाव के कारण एक तरफ जहां खेल प्रेमी निराश हुए हैं वहीं, चुनाव के दौरान एक भी चुनावी सभा वहां नहीं हो सकी ना ही कोई उड़न खटोला (हेलीकॉप्टर) वहां उतरा. इतना ही नहीं डुमराँव विधानसभा का डिस्पैच सेंटर राज हाई स्कूल के खेल मैदान में जमा पानी के कारण अंतिम समय में डीके कॉलेज और ब्रह्मपुर का डिस्पैच सेंटर डीएन हाई स्कूल ब्रह्मपुर में कर दिया गया. इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में रोष का माहौल कायम है. चुनावी सभा के लिए डुमरांव मे दो खेल मैदान हैं पहला राज हाई स्कूल का मैदान और दूसरा सीपीएसएस हाई स्कूल का मैदान. जल जमाव से दोनों की स्थिति नारकीय होने के कारण इस बार एक भी चुनावी सभा डुमरांव मे नहीं हुई.

लोगों का कहना है कि, आजादी के बाद अब तक यह विधानसभा चुनाव ऐसा पहला चुनाव होगा जब कोई उड़न खटोला इस खेल मैदान में नहीं उतर पाया. जलजमाव के कारण इस मैदान में कोई सभा भी नहीं आयोजित हुई. इतिहास गवाह है कि, पिछले सभी चुनाव में इस मैदान में दर्जनों सभाएं आयोजित हुई है. जहां कई हेलीकॉप्टर पर सवार होकर दर्जनों नेता चुनाव प्रचार के लिए पहुंचते थे और अपनी सभा के दौरान लोगों से मताधिकार के प्रयोग की अपील करते थे. उधर, खेल प्रेमियों का कहना है कि जिला प्रशासन इस चुनाव के दौरान करोड़ों रुपये के खर्च में से अपने कार्य हेतु कुछ राशि जलजमाव के निकासी के लिए जरूर खर्च करेगा जिससे कि खेल मैदान का कल्याण हो लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी गोपाल मीणा ने 2 अक्टूबर को कोविड-19 के तहत प्रचार-प्रसार हेतु चयनित स्थान में बक्सर जिला की सूची में राज हाई स्कूल खेल मैदान को सभा हेतु चिन्हित किया था लेकिन, अंततः खेल मैदान के कल्याण हेतु कोई पहल नहीं की गई.


















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