बड़ी ख़बर: स्वास्थ्य विभाग के घोटालेबाज कार्यक्रम प्रबंधक बर्खास्त ..

टीम द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें सेवा मुक्त किए जाने का आदेश सुनाया गया है. साथ ही सरकार को हुए नुकसान की भरपाई किए जाने के लिए उनसे ही राशि वसूलने का निर्देश दिया गया है ऐसा नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई किए जाने का भी स्पष्ट निर्देश दिया गया है इस कार्रवाई के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच हड़कंप का माहौल कायम हो गया है. 



-  वर्ष 2018 में जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम पदाधिकारी रहे धनंजय शर्मा के विरुद्ध कार्रवाई
- दवा तथा उपकरणों की खरीद में वित्तीय अनियमितता बरतने के लगे थे आरोप 
- बिना निविदा खरीदी करोड़ों की दवा व उपकरण, मनमर्जी से किया भुगतान

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिला स्वास्थ्य समिति बक्सर में बतौर कार्यक्रम प्रबंधक कार्यरत रह चुके तथा वर्तमान में कैमूर जिले में पदस्थापित धनंजय शर्मा को दवा एवं उपकरण उपस्करों की खरीद में अनियमितता बरतने के आरोप में लोकायुक्त के निर्देश पर गठित 5 सदस्यीय टीम द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें सेवा मुक्त किए जाने का आदेश सुनाया गया है. साथ ही सरकार को हुए नुकसान की भरपाई किए जाने के लिए उनसे ही राशि वसूलने का निर्देश दिया गया है ऐसा नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई किए जाने का भी स्पष्ट निर्देश दिया गया है इस कार्रवाई के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच हड़कंप का माहौल कायम हो गया है. 



अपने आदेश में लोकायुक्त के द्वारा यह बताया गया है कि वर्ष 2018 में सामने आए अनियमितता के इस मामले की जांच कराने पर उसे सही पाया गया जिसके बाद तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी धनंजय शर्मा से स्पष्टीकरण की मांग की गई लेकिन, उनके द्वारा उचित जवाब नहीं दिए जाने पर उन्हें सेवा मुक्त कर दिया गया है.

क्या थे आरोप:

धनंजय शर्मा पर वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए दवा क्रय करने तथा उपस्करों की खरीद वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया था, जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के लोकायुक्त के समक्ष परिवाद दायर किया गया था. उक्त मामले में लोकायुक्त के निर्देश पर गठित टीम ने आरोपों के संदर्भ में धनंजय शर्मा से स्पष्टीकरण की मांग की थी. उनके द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के अवलोकन के बाद लोकायुक्त ने अपने निर्देश में बताया कि, स्पष्टीकरण की समीक्षा करने से यह ज्ञात हुआ कि पाँच लाख रुपये से अधिक की खरीदारी करने के लिए खुली निविदा आमंत्रित करने का प्रावधान है किंतु, तात्कालिक कार्यक्रम पदाधिकारी ने ऐसा नहीं किया एवं क्रय समिति गठित कर कोटेशन के माध्यम से दवा तथा उपकरणों की खरीद की. इतना ही नहीं जांच टीम को उचित अभिलेख उपलब्ध कराने में भी असहयोग किया गया. जो भी सामग्री अथवा दवाएं खरीदी गई थी वह सरकार द्वारा निर्धारित दर से अधिक थी. साथ ही औषधियों तथा उपकरणों की गुणवत्ता की जांच भी नहीं कराई गई. 

ऐसे में इन तथ्यों का अवलोकन करने के पश्चात या प्रतीत हुआ की कार्यक्रम पदाधिकारी के द्वारा जानबूझकर वित्तीय अनियमितता बरती गई, जिससे कि सरकार को भारी नुकसान हुआ. ऐसे में उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा मुक्त कर दिया गया है. साथ ही जितनी राशि के हेरफेर का आरोप लग रहा है वह उनसे वसूलने के भी निर्देश दिए गए हैं. यह भी कहा गया है कि आगे किसी भी प्रकार के सेवा के लिए वह अयोग्य माने जाएंगे.

- डॉ. शशांक शेखर की रिपोर्ट











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