जालसाजी कर दूसरे व्यक्ति ने तीसरे को बेच दी जमीन ..

मामला दर्ज होने के बाद एक तरफ जहां पुलिस जांच में जुट गई है वहीं दूसरी तरफ निबंधन कार्यालय में निबंधन से पूर्व जमीन के मालिकाना हक की जांच नहीं किए जाने पर भी निबंधन कार्यालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठ रहा है.

 




- मामले में विक्रेता, क्रेता, कातिब, गवाह समेत छह नामजद
- निबंधन कार्यालय की कार्यशैली पर भी उठ रहे सवाल

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: ब्रह्मपुर के रहने वाले एक व्यक्ति कि 72 डिसमिल जमीन किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा किसी तीसरे व्यक्ति को बेच दिए जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. मामले को लेकर निबंधन कार्यालय के कातिब समेत छह लोगों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.



इस संदर्भ में ब्रह्मपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले मनोज कुमार पिता स्व. मोती चंद साह ने थाने में दिया अपने आवेदन में बताया है कि ब्रह्मपुर में उनकी ख़ातियानी जमीन है, जिसकी मालगुजारी रसीद की उनके नाम से ही कटती है लेकिन, उक्त जमीन को ब्रह्मपुर के ही रहने वाले एक अनजान व्यक्ति भरत पांडेय, पिता स्व. ब्रह्मदेव पांडेय ने 72 डिसमिल जमीन को सिमरी थाना क्षेत्र के डुमरी गांव की रहने वाली प्रभावती देवी, पति-दीनानाथ यादव तथा नैनिजोर थाना क्षेत्र के नैनिजोर के रहने वाली हीरावती देवी पति - यदुनंदन यादव को 24 नवंबर को रजिस्टर्ड कबाला कर दिया. इस बात की जानकारी मिलने के पश्चात वह जब निबंधन कार्यालय पहुंचे तो ज्ञात हुआ कि भरत पांडेय के द्वारा जालसाजी करते हुए उक्त जमीन को प्रभावती देवी तथा हीरावती देवी को 5 लाख 76 हज़ार रुपये में रजिस्ट्री कर दी गई. यह भी ज्ञात हुआ कि जमीन की रजिस्ट्री कराने में कातिब विद्यासागर सिंह ने कागजात तैयार किया है तथा गवाह सुनील यादव पिता-भूटन यादव, ग्राम-लालूडेरा थाना- शाहपुर जिला-भोजपुर तथा दीपक कुमार यादव पिता- दीनानाथ यादव ग्राम डुमरी थाना सिमरी जिला-बक्सर ने गवाह के तौर पर अपने हस्ताक्षर बनाए हैं. 

इस प्रकार जालसाजी के द्वारा कातिब, विक्रेता, क्रेता तथा गवाहों ने एक षड्यंत्र के तहत अवर निबंधक को धोखा देते हुए  जमीन की खरीद बिक्री कर ली. मामले में पीड़ित के द्वारा जालसाज विक्रेता भरत पांडेय, कातिब विद्या सागर सिंह, क्रेता प्रभावती देवी व हीरावती देवी, गवाह सुनील यादव व दीपक कुमार यादव के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गई है. मामला दर्ज होने के बाद एक तरफ जहां पुलिस जांच में जुट गई है वहीं दूसरी तरफ निबंधन कार्यालय में निबंधन से पूर्व जमीन के मालिकाना हक की जांच नहीं किए जाने पर भी निबंधन कार्यालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठ रहा है.











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