नहीं रहे साहित्यकार हरिनंदन कुमार ..

उन्होंने अश्रुपूर्ण नेत्रों से अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि आज वे जो कुछ भी हैं उसे सजाने संवारने एवं साहित्य के धरातल पर पल्लवित करने का कार्य गुरुवर कुंवर जी ने ही किया. अपनी दग्ध भावना को प्रकट करते हुए कुमार नयन ने बताया कि इनके निधन से इन्होंने अभिभावक तुल्य कुशल मार्गदर्शक भी खोया है जिसकी कसक हमेशा बनी रहेगी.

 




- पटना के अस्पताल में इलाज के दौरान ली अंतिम सांस
- डुमराँव में जानने वालों ने आयोजित की शोकसभा

बक्सर टॉप न्यूज़, डुमराँव: प्रगतिशील लेखक संघ के संरक्षक एवं साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान तथा सेवानिवृत शिक्षक हरिनंदन कुमार का निधन गत 17 दिसम्बर को पटना में इलाज के दौरान हो गया. उनके निधन के पश्चात तमाम साहित्य प्रेमियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई. डुमरांव में हरिजी के हाता स्थित प्रगतिशील लेखक संघ के स्थानीय कार्यालय में एक शोक सभा आयोजित की गई इस दौरान दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई.





प्रलेस के जिलाध्यक्ष डॉ. बी.एल.प्रवीण ने बताया कि 87 वर्षीय हरिनंदन कुमार  को पूरा डुमरांव 'कुंवर जी' के नाम से जानता था. वे  1962 से 1994 तक लगातार  स्थानीय राज हाई स्कूल में हिन्दी के प्राध्यापक रहे. सेवानिवृत्ति के बाद इनकी दो पुस्तकें क्रमशः निबंध रश्मि एवं अंतरिक्ष से पहले (नाट्य पुस्तक) प्रकाश में आईं. प्रलेस द्वारा आयोजित लगभग सभी गोष्ठियों एवं कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति गौरवान्वित करती थी. व्याकरणविद के साथ- साथ वे विलक्षण स्मृति के भी धनी थे. उनके खोने से डुमरांव का साहित्याकाश सूना पड़ गया. उन्होंने बताया कि वे अपने पीछे दो पुत्र एवं चार पुत्रियां छोड़ गए जिनमें से एक पुत्र विंग कमांडर के पद पर सुशोभित हैं.
प्रलेस के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य तथा बिहार सरकार द्वारा 'दिनकर सम्मान' प्राप्त  प्रसिद्ध ग़ज़लगो कुमार नयन इस समाचार से काफी मर्माहत हुए. उन्होंने अश्रुपूर्ण नेत्रों से
अपना उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि आज वे जो कुछ भी हैं उसे सजाने संवारने एवं साहित्य के धरातल पर पल्लवित करने का कार्य गुरुवर कुंवर जी ने ही किया. अपनी दग्ध भावना को प्रकट करते हुए कुमार नयन ने बताया कि इनके निधन से इन्होंने अभिभावक तुल्य कुशल मार्गदर्शक भी खोया है जिसकी कसक हमेशा बनी रहेगी.





प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉ. शशांक शेखर उपाध्याय ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बचपन से ही उन्हें गुरुवर के सन्निकट रहने का सौभाग्य रहा. इनकी विद्वता की कोई मिसाल नहीं थी. इनकी अपूरणीय क्षति सदैव सालती रहेगी. प्रलेस की उपाध्यक्षा एवं शिक्षिका मीरा सिंह 'मीरा' ने कहा कि हरिनंदन कुमार जी 'सादा जीवन,उच्च विचार' के द्योतक थे जिनसे हमें सदैव प्रेरणा मिलती रही. शोक सभा में प्रलेस के जिला सचिव उमाशंकर दूबे 'अनुज', शैलेन्द्र ओझा, रामजी सिंह 'शेरेदिल', दशरथ प्रसाद विद्यार्थी, समाजवादी चिंतक सिद्धेश्वरानंद बक्सरी, कवि रामेश्वर चौधरी, रेल यात्री कल्याण समिति डुमरांव के अध्यक्ष राजीव सिंह गौतम, हिमांशु जायसवाल, प्राध्यापक डॉ. मनीष कुमार 'शशि', समाजसेवी प्रदीप शरण, पत्रकार शिवजी पाठक आदि  विद्वजनों ने भी अपने उद्गार व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.








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