मिशन परिवार विकास जागरूकता रथ गांवों के लिए रवाना ..

जागरूकता रथ परिवार नियोजन के जनसंदेश को लेकर लोगों के बीच जायेंगे. अभियान के केंद्र में नवविवाहित तथा एक संतान वाले दंपति विशेष रूप से शामिल हैं. वहीं प्रखंडों के ग्रामीण इलाकों में भी जागरूकता रथ को रवाना किया गया है. आरोग्य दिवस पर भी लोगों को परिवार नियोजन की जानकारी मिलेगी. 




- ग्रामीण स्तर पर लोगों को जागरूक करने को आयोजित होंगे कई कार्यक्रम
- जागरूकता रथ पर लगाए गए बैनर व पोस्टर, माइकिंग के जरिये दिया जाएगा ऑडियो संदेश

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिले में परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए मिशन परिवार विकास अभियान के तहत लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता रथ रवाना किया गया. इस क्रम में गुरुवार को सदर अस्पताल परिसर में प्रभारी सिविल सर्जन सह सीडीओ डॉ. नरेश कुमार ने हरी झंडी दिखा कर सभी ई-रिक्शा को रवाना किया. प्रभारी सीएस ने कहा परिवार नियोजन की जरूरत के प्रति दंपतियों को जागरूक किया जा रहा है. जागरूकता रथ परिवार नियोजन के जनसंदेश को लेकर लोगों के बीच जायेंगे. अभियान के केंद्र में नवविवाहित तथा एक संतान वाले दंपति विशेष रूप से शामिल हैं. वहीं प्रखंडों के ग्रामीण इलाकों में भी जागरूकता रथ को रवाना किया गया है. आरोग्य दिवस पर भी लोगों को परिवार नियोजन की जानकारी मिलेगी. मौके पर डीपीएम संतोष कुमार, अस्पताल प्रबंधक दुष्यंत कुमार, केयर के डीटीएल आशीष कुमार द्विवेदी, केयर की डीटीओ ऑन तृष्णा सिंह समेत अन्य लोग मौजूद रहे

परिवार नियोजन की समझ बढ़ाना महत्वपूर्ण : 

प्रभारी सिविल सर्जन डा. कुमार ने कहा सबसे पहले परिवार नियोजन की समझ को बढ़ाना आवश्यक है. इसके बाद आधुनिक गर्भनिरोध के साधनों के इस्तेमाल की जानकारी महत्वपूर्ण होती है. परिवार नियोजन से माता व बच्चे अधिक स्वस्थ होते हैं, क्योंकि इससे जोखिम वाले गर्भों की रोकथाम की जा सकती है. गर्भनिरोधक साधनों का इस्तेमाल अवांछित गर्भ के डर को रोकता है. उन्होंने कहा पुरुष नसबंदी को लेकर कई मिथक हैं. सही जानकारी प्राप्त कर इस मिथकों को तोड़ना चाहिए. नवदंपति को जानना जरूरी है कि पहली संतान विवाह के कितने दिनों बाद हो तथा दो संतानों के बीच तीन साल का अंतराल क्यों आवश्यक है. इसकी जानकारी हर दंपति को होनी चाहिए.



पहले व दूसरे बच्चे में तीन साल का अंतराल जरूरी :

उन्होंने कहा कि अभी समाज में ऐसी मान्यता है कि परिवार नियोजन का मतलब महिला बंध्याकरण या पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन कराना है. लेकिन परिवार नियोजन का अर्थ सिर्फ इतना बस नहीं बल्कि इसका अर्थ सही मायने में सही समय में शादी, सही समय में गर्भ धारण और सही अंतराल के बाद बच्चा पैदा करने से है. हमारे समाज में अभी 17 से 18 साल में लड़की की शादी हो जाती है और वो 20 वर्ष की उम्र में हो मां बन जाती है. इसके बाद करीब 25 वर्ष की  कि उम्र में वो परिवार नियोजन के बारे में सोचती है. ऐसे लोगों की सही तरीके से कॉउंसलिंग कर उन्हें परिवार नियोजन के साधनों के बारे प्रेरित (मोटिवेट) करना है ताकि वो सही समय पर अपने परिवार को नियोजित कर अपने बच्चों की सही तरीके से परवरिश कर सके.

ई-रिक्शा पर लगाए गए हैं पोस्टर व बैनर : 

डीपीएम संतोष कुमार ने बताया फिलवक्त जिले में चार ई-रिक्शा खोले गए हैं. जो गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करेंगे. इसके लिए ई-रिक्शा को बैनर पोस्टर से पाट दिया गया है. साथ ही, जिंगलिंग और माइकिंग के जरिए ऑडियो संदेश प्रसारित किया जाएगा. साथ ही, परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जिले के सभी प्रखण्डों के आंगनबाड़ी केंद्रों पर आरोग्य दिवस के दिन बुधवार और शुक्रवार को जागरूरुकता रथ के माध्यम से ई माइकिंग की जाएगी. इसके अलावा वार्ड स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा जागरूकता रैली भी निकाली जा रही है.









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