बड़ी ख़बर: मां-बाप समेत 7 लोगों को मारने वाली युवती को होगी फांसी, बक्सर से जा रहा फंदा ..

देश में आजादी के पहले से अबतक जितनी फांसी दी गई, उनमें बक्सर जेल में बनी मनीला रस्सी से बने फंदे का ही इस्तेमाल हुआ. अजमल कसाब, अफजल गुरु समेत निर्भया के चार गुनाहगारों को इसी रस्सी से लटकाया गया था. हौले से गले में लिपट दोषियों को आराम से मौत देने वाली इस रस्सी को विशेष रूप से यहां तैयार किया जाता है. 







- वर्ष 2008 में हुई घटना में राष्ट्रपति ने खारिज की दया याचिका तो दिया फंदा बनाने का ऑर्डर
- मथुरा जेल में बंद है युवती तो आगरा में बंद है उसका प्रेमी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: उत्तर प्रदेश के मथुरा जेल में बंद अपने परिजनों की हत्या की आरोपी युवती शबनम तथा आगरा जेल में बंद उसके प्रेमी सलीम को फांसी की दी जाएगी. राष्ट्रपति के यहां से दया याचिका खारिज होने के बाद अब यह तय हो गया है. जिसके बाद बक्सर केंद्रीय कारा में उनकी फांसी का फंदा तैयार होना शुरू हो गया है. आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी महिला को फांसी दी जा रही है. हत्या की इस घटना का शिकार लोगों में महिलाएं व👌 10 माह का मासूम बच्चा भी शामिल था.

इस फैसले के साथ हुई बक्सर से भी किसी महिला को फांसी दिए जाने के लिए राशि भेजने का यह पहला मामला होगा. इसके पूर्व बक्सर जेल से निर्भया के गुनाहगारों समेत कई लोगों को फांसी दी गई थी लेकिन, पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी महिला को फांसी दिए जाने के लिए यहां से मनीला रस्सी जा रही है.



तकरीबन तीन महीने पूर्व जब यह तय हो गया कि दोनों को फांसी दी जाएगी तो उसके बाद निर्भया के हत्यारों को फांसी पर लटकाने वाले जल्लाद पवन के द्वारा तीन बार मथुरा जेल में बने फांसी घर का निरीक्षण कर लिया गया है. साथ ही ट्रायल की प्रक्रिया भी पूरी हो गयी है वहीं, फांसी पर लटकाने के लिए बक्सर केंद्रीय कारा से रस्सी का ऑर्डर भी दे दिया गया है. तकरीबन 36 सौ रुपये मूल्य के तथा बक्सर जेल में बने दोनों फांसी के फंदे जल्द ही मथुरा व आगरा जेल भेजी जाएगी. जिसके बाद डेथ वारंट जारी होते ही दोनों को फांसी दी जाएगी हालांकि, सलीम को कहां फांसी दी जाएगी यह तय नहीं है.



2008 में हुई थी वारदात, 2010 में सुनाया फैसला, राष्ट्रपति ने ख़ारिज की दया याचिका:

अमरोहा के हसनपुर कस्बे से सटे बावनखेड़ी गांव में वर्ष 2008 की 14 -15 अप्रैल की रात शिक्षामित्र शबनम ने अपने आठवीं पास प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीश, रसीद, भाभी अंजुम, फुफेरी बहन राबिया तथा 10 माह के मासूम भतीजे का गला काट कर हत्या कर दी थी. असल में शबनम और सलीम एक दूसरे से प्रेम करते थे लेकिन, शबनम के घरवाले उनके प्रेम में बाधक बन रहे थे. ऐसे में दोनों ने एक साथ मिलकर शबनम के पिता समेत सात लोगों को नशे की गोलियां खिलाकर तथा कुल्हाड़ी से उनका गला काट उन्हें मौत के घाट उतारा था. बाद में जाँच के दौरान दोनों का गुनाह सामने आ गया तथा दोनों ने अपना जुर्म भी स्वीकार कर लिया. मामले में अमरोहा कोर्ट ने 2 साल 3 महीने तक सुनवाई करने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश के एस.ए.ए. हुसैनी ने शबनम और सलीम को आखरी दम तक फांसी पर लटकाए जाने की सजा सुनाई थी. बाद में मामले में राष्ट्रपति के यहाँ दया याचिका भी दी गयी थी लेकिन, वह खारिज़ कर दी गयी.

कच्चे सूत और मोम से तैयार होती है 18 फ़ीट लंबी मनीला रस्सी: 

देश में आजादी के पहले से अबतक जितनी फांसी दी गई, उनमें बक्सर जेल में बनी मनीला रस्सी से बने फंदे का ही इस्तेमाल हुआ. अजमल कसाब, अफजल गुरु समेत निर्भया के चार गुनाहगारों को इसी रस्सी से लटकाया गया था. हौले से गले में लिपट दोषियों को आराम से मौत देने वाली इस रस्सी को विशेष रूप से यहां तैयार किया जाता है. इस रस्सी को बनाने के लिए खास विधि अपनाई जाती है. पहले कच्चे सूत से एक-एक कर अठारह धागे तैयार किए जाते हैं. सभी को मोम में पूरी तरह संतृप्त किया जाता है. इसके बाद सभी धागों को मिलाकर एक मोटी अठारह फीट की रस्सी तैयार की जाती है.

कहते हैं प्रभारी जेल अधीक्षक:

रस्सी बनाने का ऑर्डर मिलने के बाद उसे बनाकर भेजा जाएगा पूर्व में भी यहां की रस्सियों से कई दोषियों को फांसी हुई है. एक बार फिर विशेष तरीके से दो रस्सियां तैयार की जाएंगी.

त्रिभुवन सिंह
प्रभारी जेल अधीक्षक,  
बक्सर केंद्रीय कारा







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