बिजनौर में उर्स के मेले से हुआ था मासूम का अपहरण, चार साल बाद बक्सर में मिला ..

पुलिस ने क्राइम ब्रांच को केस ट्रांसफर किया. पांच साल के गायब बच्चों की लिस्ट देखी. उसी तहत पता चला कि बिजनौर के दौलतपुर ब्लाक से एक बच्चा गायब हुआ है. उस परिवार का नंबर लिया गया. समिति ने बात की वॉट्सअप पर परिवार की तस्वीर मंगायी. बच्चे ने मां को पहचान लिया. इसके बाद माता पिता भागे भागे बक्सर आये. अपने कलेजे के टुकड़े को देखते ही मां ने उसे गले से लगा लिया और फफक-फफक कर रोने लगी. 








- सीडब्लूसी ने चार साल से बिछड़े बालक को माता पिता से मिलाया
- जिसने किया था अपहरण उसके पास से बिछड़ कर बक्सर पहुंच गया मासूम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिस प्रकार फिल्मों में वर्षों से बिछड़े भी अपनों से मिल जाते हैं वह कहानी वास्तविक जीवन सत्य होती नहीं मालूम पड़ती  ऐसी घटनाएं  कभी कभार ही होती है जब अपनों से बिछड़े लोग पुनः  वर्षों बाद मिलते हैं हालांकि, बक्सर बाल कल्याण समिति की नई टीम ने ऐसा कर दिखाया है. उत्तर प्रदेश के बिजनौर से बालक अपने घर के बाहर खेलते हुए  अचानक गायब हो गया था.  बाद में बालक लावारिस हालत में जीआरपी ने बरामद किया था. इसके बाद बालक को बालगृह रखा गया जिसे बाल कल्याण समिति के प्रयास बालक को माता पिता से फिर से मिलवा दिया गया. 

दरअसल, वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला निवासी मो. यासत का 6 वर्षीय बालक अपने घर से बाहर खेल रहा था, तभी वह अचानक गायब हो गया. पिता ने अपनी बेटे की खोज के लिए हर प्रयास किया. यहाँ तक की मुख्यमंत्री व राज्यपाल तक गुहार लगाई. परंतु बालक का कहीं पता नहीं चल रहा था. 




चोरों के गैंग ने कर लिया था अपहरण, वहां से भटका तो टुड़ीगंज पहुँचा:

जिस प्रकार की बातें यह मासूम बता रहा था उसे सुनने के बाद यही समझ में आता था कि  उसकी परवरिश किसी चोरों के गैंग के द्वारा की जा रही थी. संभवत: उन्होंने ही उसका अपहरण कर लिया था. दरअसल, जून 2018 में वह बालक टुकड़ीगंज में लावारिस हालत में बरामद हुआ. जीआरपी ने बालक को चाइल्डलाइन को सौंप दिया. बालक को बालगृह में आवासित कराया गया. बाल कल्याण समिति जब भी बालक की काउंसलिंग करती थी. तब बालक यही कह रहा था कि वह अपनी अम्मी के साथ आ रहा था. अम्मी मुझे चोरी करना सिखाया करती थी. एक दिन ट्रेन में एक व्यक्ति की जेब से मैंने पैसा निकाला था. इसी बीच पुलिस आ गई मैं ट्रेन के शौचालय में छुप गया. अम्मी किसी स्टेशन पर उतर गई. लेकिन, मैं ट्रेन में छूट गया था. बालक अपने माता-पिता का नाम बताता था लेकिन, पता में वह सिर्फ दौलतपुर बताया करता था इस कारण उसके माता-पिता का पता लगाने का बाल कल्याण समिति हर प्रयास विफल हो रहा था. 

बस टिकट बना सहारा:

समिति के सदस्यों ने बताया कि बालक के पास से बिजनौर से मोहननगर (गाजियाबाद) का बस टिकट मिला था. समिति ने टिकट के आधार पर वहाँ के रोडवेज से संपर्क स्थापित किया. लेकिन, कोई विशेष जानकारी नहीं मिल पाई. अंत में वहाँ की पुलिस से संपर्क किया गया. पुलिस ने क्राइम ब्रांच को केस ट्रांसफर किया. पांच साल के गायब बच्चों की लिस्ट देखी. उसी तहत पता चला कि बिजनौर के दौलतपुर ब्लाक से एक बच्चा गायब हुआ है. उस परिवार का नंबर लिया गया. समिति ने बात की वॉट्सअप पर परिवार की तस्वीर मंगायी. बच्चे ने मां को पहचान लिया. इसके बाद माता पिता भागे भागे बक्सर आये. अपने कलेजे के टुकड़े को देखते ही मां ने उसे गले से लगा लिया और  फफक-फफक कर रोने लगी. 

मां-बाप से मिलने के बाद बालक ने बताया कि वह दो साल तक एक दूसरे परिवार में था. जहाँ उसे चोरी करने सिखाया जाता था वहीं, दूसरी ओर सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद समिति के अध्यक्ष मदन सिंह, सदस्य शशांक शेखर, योगिता सिंह व नवीन कुमार ने बालक को माता पिता के पास भेज दिया.








Post a Comment

0 Comments