155 करोड़ की सीवरेज तथा वॉटर ट्रीटमेंट परियोजना के लिए चार एजेंसियों ने दिए आवेदन ..

बताया जा रहा है कि इस परियोजना में स्थापित जल शोधन संयंत्रों के द्वारा दो तरह के संयंत्र स्थापित किए जाने हैं. एक तरफ जहां नालों के पानी को साफ किया जाएगा वहीं दूसरी तरफ मल तथा अन्य अवशेषों को भी पानी से निकालकर अलग किया जाएगा. प्लास्टिक तथा अन्य पुनर्चक्रित होने वाले अवशिष्ट को अलग तथा मल तथा अन्य अवशिष्ट से खाद बनाए जाने की योजना है.





- वर्ल्ड बैंक के सहयोग से नमामि गंगे योजनांतर्गत हो रहा कार्य
- चार प्रमुख नालों का जल किया जाएगा शोधित

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बक्सर में बन रहे 155 करोड़ रुपए के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए होने वाली निविदा में चार एजेंसियों ने हिस्सा लिया जिसमें से किसी एक का चयन करने के बाद जल्द ही इस परियोजना की शुरुआत हो जाएगी. दरअसल, नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा के निर्मल स्वरूप को लौटाने  का प्रयास देश भर में किया जा रहा है. बक्सर में भी  इसको लेकर युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. नगर में जल-मल शोधन ढांचा विकसित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा गंगा नदी में गिरने वाले चार बड़े नालों के द्वारा गंगा में जा रहे दूषित जल तथा मल को शोधित करने का संयंत्र स्थापित करने की योजना को एक बार पुनः शुरु होने जा रही है. बताया जा रहा है कि कई निर्माण एजेंसियों ने इस परियोजना के लिए निविदा में शामिल होने से पूर्व एजेंसियों ने कार्यक्षेत्र का जायजा भी लिया है। वहीं, वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों ने भी नगर परिषद के पार्षदों के साथ बैठक कर विचार विमर्श किया था.

अधिकारी बताते हैं कि एक सप्ताह के अंदर निविदा की प्रक्रिया पूरी कर कार्यारम्भ किया जा सकता है. ऐसे में नमामि गंगे योजना के अंतर्गत विश्व बैंक के सहयोग से पूरी होने वाली यह योजना अप्रैल के प्रथम सप्ताह से शुरू हो सकती है.




चाइनीज कंपनी ब्लैक लिस्टेड, भारतीय कंपनी करेगी कार्य:

वर्ष 2011 में मंजूरी मिलने के बाद नगर में सीवरेज निर्माण का कार्य चीन की अनुभवी कंपनी ट्राइटेक को दिया गया था, जिसको लेकर कंपनी ने नगर में जगह-जगह गड्ढे खोदकर पाइपलाइन बिछाने का कार्य शुरु हुआ था. कंपनी द्वारा वर्ष 2014 में निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जाना था. लेकिन, उस वक्त तकरीबन 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली इस परियोजना को लेकर प्रारंभिक चरण में ही ट्राइटेक के साथ हुए गतिरोध के बाद काम बंद कर दिया गया था. दरअसल, बार-बार मिल रही अनियमितता कि शिकायतों के बावजूद सुधार नहीं होने के कारण कंपनी को काम से हटाने के साथ ही उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था. बताया जा रहा है कि वर्षों के इंतज़ार के बाद शुरु हुई इस परियोजना की कमान अब किसी भारतीय कंपनी को दी जाएगी.

फिर से शुरू हो रही है पूरी प्रक्रिया, 155 करोड़ रुपये है कुल लागत:

इधर, सरकार एक बार फिर बंद पड़ी इस परियोजना को शुरू करने की कवायद में जुट गई है. इसको लेकर बक्सर के अधिकारियों के द्वारा निविदा के कागजात तैयार करके एनमसीजी को भेजा गया अब निविदा प्रक्रिया पूरी होने के चयनोपरांत नई कंपनी के द्वारा सीवरेज का कार्य शुरु कर दिया जाएगा तथा जल-मल शोधन संयंत्र की स्थापना के कार्य को भी पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि, इस बार योजना 155 करोड़ रुपये की है. जिसे दो वर्ष में पूरा किया जाना है.




जल शोधन के बाद गंगा में बहाया जाएगा शुद्ध एवं निर्मल जल अवशेष से बनेगी खाद:

गंगा नदी में अकेले बक्सर नगर से प्रतिदिन लगभग 8 लाख लीटर नाले का पानी बहाया जा रहा है. जिससे कि पतित पावनी गंगा दिन प्रतिदिन मैली होती जा रही है. इस योजना के तहत घरों से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध कर गंगा में बहाया जाना है. बताया जा रहा है कि इस परियोजना में स्थापित जल शोधन संयंत्रों के द्वारा दो तरह के संयंत्र स्थापित किए जाने हैं. एक तरफ जहां नालों के पानी को साफ किया जाएगा वहीं दूसरी तरफ मल तथा अन्य अवशेषों को भी पानी से निकालकर अलग किया जाएगा. प्लास्टिक तथा अन्य पुनर्चक्रित होने वाले अवशिष्ट को अलग तथा मल तथा अन्य अवशिष्ट से खाद बनाए जाने की योजना है.

कहते हैं अधिकारी:

सीवरेज ट्रीटमेंट परियोजना एक बार फिर शुरु करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है. टेंडर प्रक्रिया में चार एजेंसियों ने हिस्सा लिया जिसमें किसी एक एजेंसी का चुनाव करते हुए कार्य शुरु कराया जाएगा.

विजय कुमार
कार्यपालक अभियंता,
वुडको







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