न्यायालय को नहीं मिली जांच रिपोर्ट तो काजीपुर मुखिया को मिली बड़ी राहत, पुनर्बहाली का आदेश ..

जैसे ही इस फैसले की जानकारी मुखिया तथा उनके समर्थकों को मिली गांव में हर्षोल्लास का माहौल कायम हो गया. सभी ने एक दूसरे को रंग-अबीर लगाकर सभी ने जीत का जश्न मनाया. देर रात तक आतिशबाजी भी की गई. मुखिया अख्तर अली ने न्यायालय के फैसले पर खुशी जताई है. 
समर्थकों के साथ जश्न मनाते मुखिया

 





- पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा सुनाया गया फैसला
- पंचायती राज विभाग के आदेश पर लगाई गई रोक


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: 14वें वित्त की राशि के गबन कराने के मामले में सिमरी प्रखंड के काजीपुर पंचायत के मुखिया अख्तर अली को उच्च न्यायालय से राहत मिली है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के द्वारा दिए गए आदेश में एकल पीठ के 21.01.21 के फैसले को स्थगित करते हुए पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव के द्वारा 04.02.20 को चुनाव नहीं लड़ने संबंधी जारी आदेश पर रोक लगा दी है तथा पदच्युत मुखिया को पुनः पद पर बहाल करने का निर्देश दिया है. न्यायालय के आदेश में यह बताया गया है कि अधिवक्ता द्वारा जाँच रिपोर्ट नहीं प्रस्तुत करने के कारण यह कदम उठाया गया है. 


उधर, जैसे ही इस फैसले की जानकारी मुखिया तथा उनके समर्थकों को मिली गांव में हर्षोल्लास का माहौल कायम हो गया. सभी ने एक दूसरे को रंग-अबीर लगाकर सभी ने जीत का जश्न मनाया. देर रात तक आतिशबाजी भी की गई. मुखिया अख्तर अली ने न्यायालय के फैसले पर खुशी जताई है. उन्होंने बताया कि न्यायालय के द्वारा दिए गए इस आदेश के आलोक में जिला पंचायती राज पदाधिकारी से आग्रह किया जाएगा कि वह प्रखंड विकास पदाधिकारी को यह निर्देशित करें कि उन्हें पदभार ग्रहण कराया जाए. मामले में पूछे जाने पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने बताया की उच्च न्यायालय के द्वारा जारी आदेश के आलोक में वरीय अधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. 


तीन योजनाओ में थे दोषी:

मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में अख्तर अली काजीपुर पंचायत में मुखिया पद पर चुनाव जीते थे. पंचायत  के विकास के लिए कई योजनाओ को संचालित कराया लेकिन, तीन योजना में गड़बड़ी कर दी थी. जिसमें एक ही स्थल पर दो योजना को चला दिया. बगैर कार्य कराये योजना की राशि की निकासी कर ली वहीं, 14 वें वित्त के तहत चार योजनाओं में प्राक्कलन के अनुसार कार्य नहीं कराया गया था.

लोक शिकायत में गया था मामला:

गड़बड़ी पाए जाने के बाद काजीपुर पंचायत के वॉर्ड सदस्य इम्तियाज अंसारी सहित अन्य ने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां परिवाद दर्ज कराया था. जिसमें मुखिया दोषी पाए गए थे. इसके बाद जिला लोक शिकायत में भी परिवाद दर्ज हुआ था. मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन डीडीसी अरविंद कुमार भी स्थल जांच के लिए गए थे, जिसमें मुखिया  दोषी पाये गये थे. मुखिया ने अपनी गलती भी स्वीकार कर ली थी. राशि की वसूली भी हुई थी. इसके बाद अख्तर अली की मुखिया की कुर्सी चली गई थी. बाद में अपनी साख बचाने के लिए अख्तर अली हाई कोर्ट की शरण में गये.







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