जगत के रूप में जगदीश्वर का ही दर्शन - आचार्य भारतभूषण

इनको साधने के लिए भगवान की सगुण लीलाओं-कथाओं के श्रवण की अनिवार्यता बतायी. भगवान के अवतार के प्रयोजन को बताते हुए आचार्य ने कहा कि व्यासगद्दी-शिक्षातंत्र और राजगद्दी-शासनतंत्र की शुद्धि और इनमें शास्त्रोक्त रीति से समन्वय स्थापित करने के लिए भगवान राम, कृष्ण आदि रूपों में आते हैं. 

 



- आचार्य ने की भगवान के स्थूल और सूक्ष्म रूपों की व्याख्या
- आचार्य ने सभी को दी स्वधर्म एवं सदाचार पालन की शिक्षा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: अनुमण्डल के सुरौंधा गाँव के तिलक बाबा देवस्थान में आयोजित श्रीलक्ष्मीनारायण - सह - श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन प्रवचन करते हुए प्रसिद्ध भागवत-वक्ता आचार्य डॉ. भारतभूषण जी महाराज ने कहा कि जगत के द्वारा जगदीश्वर का ही दर्शन होता है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आभूषणों के द्वारा स्वर्णादि धातुओं और बुलबुलों या तरंगों के द्वारा जल का ही दर्शन होता है उसी प्रकार जगत के द्वारा भगवत्तत्त्व ही हम सभी को दिखाई देता है. 




भगवान के स्थूल और सूक्ष्म रूपों की व्याख्या करते हुए क्रम मुक्ति और सद्यः मुक्ति का निरूपण किया. उन्होंने जीवन धन्य करने के लिए सांख्य, योग और स्वधर्म निष्ठा को आवश्यक बताया. इनको साधने के लिए भगवान की सगुण लीलाओं-कथाओं के श्रवण की अनिवार्यता बतायी. भगवान के अवतार के प्रयोजन को बताते हुए आचार्य ने कहा कि व्यासगद्दी-शिक्षातंत्र और राजगद्दी-शासनतंत्र की शुद्धि और इनमें शास्त्रोक्त रीति से समन्वय स्थापित करने के लिए भगवान राम, कृष्ण आदि रूपों में आते हैं. आचार्य ने शास्त्रों के विधिवत स्वाध्याय पर बल देते हुए सभी को स्वधर्म एवं सदाचार पालन की शिक्षा दी.







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