साधुओं का रक्षण, दुष्टों का विनाश एवं संसार को शिक्षा के लिए श्रीकृष्ण की लीलायें: आचार्य भारत भूषण

भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं के द्वारा साधुओं की रक्षा, दुष्टों का विनाश और संसार को शिक्षा दी है. वे धर्म की संस्थापना करने के लिए अवतार लेते हैं. आचार्य ने कहा कि माखनचोरी की लीला से भगवान ने सात्विक वृत्तियों का पोषण और अनुमोदन किया. मृद् भक्षण के द्वारा पृथ्वी के भारहरण का संदेश और तमोगुणियों को नियंत्रित करने के लिए रजोगुण ग्रहण किया. 

 




-कहा, धर्म के संस्थापक के लिए अवतार लेते हैं ईश्वर
- डुमरांव अनुमंडल के सुर अंधा में आयोजित है श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  डुमरांवअनुमण्डल के सुरौंधा गाँव के तिलक बाबा देवस्थान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन प्रवचन करते हुए प्रसिद्ध भागवताचार्य डॉ. भारतभूषण जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं के द्वारा साधुओं की रक्षा, दुष्टों का विनाश और संसार को शिक्षा दी है. वे धर्म की संस्थापना करने के लिए अवतार लेते हैं. आचार्य ने कहा कि माखनचोरी की लीला से भगवान ने सात्विक वृत्तियों का पोषण और अनुमोदन किया. मृद् भक्षण के द्वारा पृथ्वी के भारहरण का संदेश और तमोगुणियों को नियंत्रित करने के लिए रजोगुण ग्रहण किया. 



भगवान के अवतार के साथ उनके धाम और परिकरों का भी अवतार होता है. गोकुल गोलोक धाम है तो वृन्दावन वैकुण्ठ का अवतार है. वैकुण्ठ के रास्ते में तीन बाधायें काम, क्रोध और लोभ हैं जो वत्सासुर, बकासुर और अघासुर के रूप में सामने आये. भगवान श्रीकृष्ण ने इनका उद्धार किया. वृन्दावन में गोचारण, वेणुवादन, गोवर्धनधारण आदि लीलाओं के द्वारा भगवान ने संसार को संकटमुक्त, गोवंश के द्वारा आर्थिक-आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग तथा शिक्षा, संस्कृति व धर्म के प्रचार के साथ सामाजिक एकता, सौहार्द एवं परस्पर सहयोग, सहकार की भावना विकसित की.






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