पुत्र से बात करने पर उसने बताया कि वह लोग दो भाई हैं. माँ तो मर ही गई अब अगर उन्हें संक्रमण हो जाएगा तो क्या होगा? अब इसे परिस्थितियों का फेर कहे या कुछ और जिस मां ने अपना दूध पिला कर बेटों को बड़ा किया था उसने कभी नहीं सोचा होगा कि उसके मृत्यु के बाद उसके पुत्र ही उसे इस कदर तिरस्कृत कर देंगे कि उसका शव 24 घंटे से ज्यादा समय से लावारिस की तरह पड़ा रहेगा.
24 घंटे से पड़ा महिला का शव, बगल में इलाजरत संक्रमित |
- बक्सर में मृत महिला व डुमराँव में मृत अधेड़ का कई घंटों से नहीं हुआ अंतिम संस्कार
- लाशों के बीच में कई घंटों से इलाजरत हैं जीवित लोग,शव वाहन नहीं होने से परेशानी
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार के बीच लगातार हो रही मौतों ने रिश्तों की सच्चाई लोगों के सामने लाने शुरु कर दी है.संक्रमित व्यक्ति से अपने ही घर वाले दूरी बनाने लगे हैं. जीते जी तो क्या मरने के बाद भी लोग अपनों को हाथ नहीं लगाना चाहते.
ऐसे ही एक मामले में कोरोना संक्रमण से मृत नगर के एक मुहल्ले की रहने वाले 54 वर्षीय महिला के बेटों ने माँ का शव लेने से इनकार कर दिया. पुत्र से बात करने पर उसने बताया कि वह लोग दो भाई हैं. माँ तो मर ही गई अब अगर उन्हें संक्रमण हो जाएगा तो क्या होगा? अब इसे परिस्थितियों का फेर कहे या कुछ और जिस मां ने अपना दूध पिला कर बेटों को बड़ा किया था उसने कभी नहीं सोचा होगा कि उसके मृत्यु के बाद उसके पुत्र ही उसे इस कदर तिरस्कृत कर देंगे कि उसका शव 24 घंटे से ज्यादा समय से लावारिस की तरह पड़ा रहेगा.
इस परिस्थिति में कई घंटों से शव डिस्पोजल नहीं किया जा सका है. उधर कई घंटों से लोग लाशों के बीच ही अपना इलाज करा रहे हैं. बाद में जब प्रशासन आश्वस्त हो गया कि कोई परिजन मृतक का शव लेने नहीं आएगा तो अब नगर परिषद को अंतिम संस्कार कराने का जिम्मा दिया गया है. एसडीएम दीपक कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद परिजनों को शव ले जाने के लिए कहा गया लेकिन, उनके द्वारा इससे इनकार कर दिया गया और कहा गया कि प्रशासन जो चाहे वह कर सकता है. अब नगर परिषद के द्वारा शव का डिस्पोजल कराया जा रहा है.
घाट पर होने वाला आर्थिक दोहन भी लोगों को कर रहा परेशान:
बताया जा रहा है कि शव के अंतिम संस्कार को घाट पर जाने वाले लोगों कभी काफी आर्थिक दोहन हो रहा है. प्रशासन के द्वारा बार-बार कथित तौर पर चेतावनी दिए जाने के बावजूद लकड़ी से लेकर दाह-संस्कार करने वाले लोगों के द्वारा भी मनमाना रवैया लोगों को परेशान कर रहा है. बताया जा रहा है कि आम आदमी जो श्मशान घाट पर शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए पहुंचता है. उसे हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. ऐसे में इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि, आर्थिक परेशानी के कारण बेटे मां के शव को लेने से इंकार कर रहे हो.
एक है शव वाहन, कई लाशों को करना है डिस्पोज:
उधर, डुमराँव डाएट केंद्र में भी एक अधेड़ की मृत्यु संक्रमण से हो गई है. जहां काफी देर तक शव वाहन नहीं मिलने के कारण शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा था. इस बात की सूचना परिजनों के द्वारा जिला पदाधिकारी अमन समीर को दी गई जिसके बाद उन्होंने तुरंत ही डुमरांव के अपर अनुमंडल पदाधिकारी सह कोविड केंद्र के नोडल पदाधिकारी को यह निर्देशित किया कि वह शव के डिस्पोजल की व्यवस्था कराएं. इस संदर्भ में जानकारी देते हुए डुमरांव के अपर अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि, जिला पदाधिकारी से प्राप्त निर्देशालोक में शव डिस्पोजल करने की तैयारी की जा रही है. बक्सर में शव वाहन फंसे होने के कारण दिक्कत हो रही थी. अब किसी दूसरे वाहन से शव को ले जाने की तैयारी की जा रही है.
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