संक्रमण काल में दोगुना हुआ मौतों का आंकड़ा ..

शवों के पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी रह रहा है. आमतौर पर लोग शवदाह दिन में ही करते हैं। ऐसे में 1 घंटे में 3 से 4 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच ही जा रहे हैं. उधर पिछली बार जहां एहतियात के साथ शवों का अंतिम संस्कार कराया जा रहा था वहीं, इस बार किसी प्रकार का एहतियात देखने को नहीं मिल रहा. इतना ही नहीं सोशल डिस्टेंसिंग आदि के नियमों का भी अनुपालन होता नहीं दिखाई दे रहा.


 





- मुक्ति धाम में हर दिन हो रहा 55 से 60 शवों का अंतिम संस्कार
- एक साथ हो रहा रहा है संक्रमित तथा गैर संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: संक्रमण का प्रसार बढ़ने के साथ मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है. अब तो चिकित्सक भी मान रहे हैं कि कोरोना का नया स्वरूप पहले स्वरूप से ज्यादा खतरनाक है. पिछले 1 महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो मरने वालों की संख्या में डेढ़ से 2 गुना तक का इजाफा हुआ है. वैसे यह नहीं कहा जा सकता कि सभी मौतें कोरोना वायरस के कारण हुई हो लेकिन, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना से हुई मौतों ने आंकड़े को बढ़ाया जरूर है. क्योंकि जो लोग संक्रमित नहीं है उन्हें भी समय से इलाज नहीं मिल रहा है. ऐसे में बाजारों में चहल-पहल भले ही कम नज़र आए लेकिन, मुक्तिधाम में सुबह से लेकर देर रात तक चहल-पहल बरकरार रह रही है.



चरित्रवन स्थित श्मशान घाट में शवदाह की पर्ची काटने वाले नप कर्मी शशि नाथ मिश्रा बताते हैं कि, आम दिनों की अपेक्षा शवदाह के लिए पहुंचने वाले शवों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. पहले जहां 1 दिन में 25 से 30 शव अंतिम संस्कार के लिए आते थे वहीं, अब यह संख्या 55 से 60 हो गयी है. उन्होंने बताया कि इनमें से सभी लोगों कि मृत्यु अलग-अलग कारणों से हुई है किसी की मौत अवस्था तो किसी की दुर्घटना लेकिन अधिकांश लोगों की मौत संक्रमण से भी हो रही है. पिछले महीने में जहाँ तकरीबन सात सौ लोगों की मौत का आंकड़ा रजिस्टर में दर्ज है वहीं इस माह में 5 अप्रैल से 23 अप्रैल तक 11 सौ लोगों का शवदाह हो चुका है.




एक साथ जल रही कई लाशें, संक्रमितों के लिए नहीं है अलग व्यवस्था :

श्मशान घाट पर शवों के पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी रह रहा है. आमतौर पर लोग शवदाह दिन में ही करते हैं। ऐसे में 1 घंटे में 3 से 4 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच ही जा रहे हैं. उधर पिछली बार जहां एहतियात के साथ शवों का अंतिम संस्कार कराया जा रहा था वहीं, इस बार किसी प्रकार का एहतियात देखने को नहीं मिल रहा. इतना ही नहीं सोशल डिस्टेंसिंग आदि के नियमों का भी अनुपालन होता नहीं दिखाई दे रहा.

लकड़ियों की नहीं है कमी पर नहीं दिख रही मूल्य तालिका:

उधर, शवदाह के लिए शवों के पहुंचने की संख्या में अचानक से बढ़ोतरी होने के बावजूद लकड़ियों की कमी नहीं है. बताया जा रहा है कि गर्मी का मौसम होने के साथ ही अभी लॉकडाउन जैसी स्थिति नहीं आई है. ऐसे में लकड़ियां खत्म होने पर मंगाई भी जा सकती हैं हालांकि, प्रशासनिक निर्देशों के बावजूद मूल्य तालिका कहीं नजर नहीं आई.

कहते हैं उप मुख्य पार्षद:

संक्रमण का स्वरूप बेहद खतरनाक है. इस बार का संक्रमण लोगों को संभालने का भी मौका नहीं दे रहा. ऐसे में गैर-संक्रमित तथा संक्रमित मरीज एक साथ जलाए जाने पर संक्रमण के फैलने की आशंका है. प्रशासन को इस पर विचार करना चाहिए और इस स्थिति को ठीक करना चाहिए.

इंद्र प्रताप सिंह
उप मुख्य पार्षद,
नगर परिषद






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