यह संकट केवल मानसिक अथवा शारीरिक नहीं बल्कि आर्थिक भी है और आर्थिक संकट की अबकी बार सबसे बड़ा संकट बनकर उभर रहा है क्योंकि, पिछले लॉकडाउन में लोगों ने अपनी जमा पूंजी से 1 साल तक गुजारा किया लेकिन, एक बार फिर लॉकडाउन कहर बनकर लोगों पर टूट रहा है और लोग बेरोजगारी की मार खाकर दूसरे राज्यों से अपने घर को लौट रहे हैं.
- भारी संख्या में अपने जिले को लौट रहे प्रवासी
- कहा 2 महीने पूर्व ही गए थे फिर लौटे वापस
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कोरोना वायरस संक्रमण के दूसरे स्वरूप ने एक बार फिर पूरे देश भर में लोगों के समक्ष संकट खड़ा कर दिया है. यह संकट केवल मानसिक अथवा शारीरिक नहीं बल्कि आर्थिक भी है और आर्थिक संकट की अबकी बार सबसे बड़ा संकट बनकर उभर रहा है क्योंकि, पिछले लॉकडाउन में लोगों ने अपनी जमा पूंजी से 1 साल तक गुजारा किया लेकिन, एक बार फिर लॉकडाउन कहर बनकर लोगों पर टूट रहा है और लोग बेरोजगारी की मार खाकर दूसरे राज्यों से अपने घर को लौट रहे हैं.
40 से 42 डिग्री तापमान में सर पर बोरा अथवा पीठ पर बैग टांगे सैकड़ों की संख्या में पैदल चलते प्रवासियों को देखकर एक बार फिर देश भर में लगे लॉकडाउन की यादें ताजा हो जा रही है. ऐसा ही कुछ नजारा बाजार समिति रोड में गुरुवार की दोपहर तकरीबन 1:30 बजे देखने को मिला जब कई प्रवासी एक साथ आते हुए दिखाई दिए. मालूम चला कि वह ट्रेन से उतर कर सीधे अपने गांव की तरफ जा रहे हैं. पूछने पर चौगाई के रहने वाले रवि रंजन ने बताया कि वह महाराष्ट्र में काम करते थे लेकिन, लॉक डाउन के कारण वहां काम छूट गया और अब घर वापसी के अलावा कोई विकल्प नहीं है. बहुत ही मायूस होकर उन्होंने बताया कि वह 2 माह पूर्व ही यहां से गए थे लेकिन, अब वापस लौटना पड़ रहा है.
ऐसी ही कुछ बात कोरानसराय के रहने वाले नीरज बताते हैं उन्होंने बताया कि वह गोवा गए थे लेकिन, लॉकडाउन की वजह से उन्हें वहां से लौटना पड़ा. लॉकडाउन होने की वजह से उनका रोजगार छिन गया और आखिरकार उन्होंने बक्सर लौटने में ही भलाई समझी. प्रतिदिन ऐसे सैकड़ों लोग दूसरे राज्यों से अपने घर वापस लौट रहे हैं लेकिन, यह घर वापसी उनके लिए सुख नहीं बल्कि आर्थिक संकट और दुख का कारण बन रही है.
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