वीडियो: महिला मरीज को लेकर पहुंचे परिजनों ने लगाया जिंदा को मुर्दा बताने का आरोप ..

परिजनों ने बताया कि, सुनीता देवी जब यहाँ पहुंची तो जिंदा थी. चिकित्सक अगर समय पर इलाज करते तो शायद उन्हें बचाया जा सकता था. सदर प्रखंड के चुरामनपुर के रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी रंजीत पांडेय तथा चौसा प्रखंड के मो. रमजान नामक युवकों ने बताया कि यदि समय पर महिला को इलाज मिला होता तो शायद ऐसा नहीं होता






- महिला को लेकर पहुंचे परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
- चिकित्सक ने कहा भ्रम में थे परिजन, मृतक थी महिला बता रहे थे जिंदा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिंदा-मुर्दा के फेर में सदर अस्पताल में बवाल हो गया. एक महिला को सांस लेने में तकलीफ होने पर सदर अस्पताल में ले जाया गया था जहां पहुंचने से पूर्व ही महिला की मृत्यु हो गई थी लेकिन परिजनों का यह कहना था कि महिला जिंदा है बाद में चिकित्सक ने उन्हें देखा और देखने के बाद परिजनों की संतुष्टि के लिए ऑक्सीजन आदि भी लगाया लेकिन बाद में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया लेकिन इस बात को लेकर परिजन खासा आक्रोश है. उनका कहना था कि समय से इलाज मिला होता तो महिला की मृत्यु नहीं होती. 




बताया जा रहा है कि सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहुंचे रोहतास जिले के दावथ थाना क्षेत्र के स्थानीय निवासी रविन्द्र प्रसाद अपनी पत्नी सुनीता देवी (45 वर्ष)  को सांस लेने में परेशानी की शिकायत पर अस्पताल में लेकर आए थे. जहाँ पहुंचने पर चिकित्सकों ने महिला को मृत घोषित कर दिया. 

तकरीबन आधे घंटे तक परिजन रोते-बिलखते अचानक उन्हें एहसास हुआ कि महिला जिसे मृत घोषित किया गया था उसकी धड़कन चल रही है. तुरंत ही ऑन ड्यूटी डॉक्टर को बुलाया गया. जांच करने के बाद यह पाया गया कि महिला जीवित है. इसके बाद तो चिकित्सकों के होश उड़ गए. उन्होंने आनन-फानन में महिला को वार्ड में एडमिट किया लेकिन, तकरीबन आधे घंटे बाद महिला को पुनः मृत घोषित कर दिया गया.

मरीज के परिजनों ने बताया कि, सुनीता देवी जब यहाँ पहुंची तो जिंदा थी. चिकित्सक अगर समय पर इलाज करते तो शायद उन्हें बचाया जा सकता था. सदर प्रखंड के चुरामनपुर के रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी रंजीत पांडेय तथा चौसा प्रखंड के मो. रमजान नामक युवकों ने बताया कि यदि समय पर महिला को इलाज मिला होता तो शायद ऐसा नहीं होता लेकिन, चिकित्सक महिला को मृत घोषित कर टालमटोल करने में लगे रहे और तकरीबन 2 घंटे तक महिला के परिजनों को इधर उधर घुमाया जाता रहा.  इस घटना के संदर्भ में पूछे जाने पर चिकित्सक आर.बी. श्रीवास्तव ने बताया कि महिला को मृत ही लाया गया था. जांचोपरांत इस बात की घोषणा कर दी गई लेकिन, परिजन इस बात को मानने को तैयार नहीं था हालांकि, उस दिन हल्ला-हंगामा करने के बाद उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और वह मृत महिला को लेकर चले गए.

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