वीडियो: सुशासन में ये कैसी मजबूरी?: यहां दूल्हे को करनी पड़ती है कंधे की सवारी, रोगी को मिलता है खाट एंबुलेंस ..

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे वशिष्ठ नारायण सिंह, सूबे के चर्चित नेता ददन पहलवान, स्व. बसंत सिंह जैसे राजनेताओं ने बिहार तथा देश की राजनीति में अपना अलग मुकाम बनाया है लेकिन, इन राजनेताओं के गृह इलाके में विकास की योजनाओं की देखने के बाद कहीं ना कहीं सुशासन की साख पर बट्टा लगता नजर आता है. 

 





- आजादी के 73 साल के बाद भी विकास की रोशनी से दूर है पुरैना गांव
- कई किलोमीटर तक दूल्हे को कंधे पर उठाकर ले जाते हैं लोग

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: देश की आजादी के 73 साल के बाद भी जिले में एक ऐसा गांव है जहां पहुंचने के लिए सड़क नहीं बनाई गई है. ऐसे में गर्मी के दिनों में तो लोगों को आवागमन की कोई समस्या नहीं होती लेकिन, हल्की बारिश में भी लोगों के समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है. इस गांव में अगर किसी को शादी करनी हो तो वह गर्मी के दिनों में ही करना उचित समझते हैं. इसी बीच बेमौसम बरसात हो जाने के कारण लोगों के समक्ष भारी संकट की स्थिति पैदा हो गई है. दो-तीन दिन पूर्व हुई एक शादी के दौरान एक दूल्हे को कंधे पर बैठाकर तकरीबन 3 किलोमीटर दूर तक कीचड़ और पानी में बचते बचाते हुए लेकर जाने का एक वीडियो सामने आया है. पूछने पर स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या वर्षों से बनी हुई है लेकिन इस पर ना तो जनप्रतिनिधि और ना ही अधिकारी ध्यान देते हैं.



मामला जिले के डुमराव अनुमंडल मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित नचाप पंचायत के पुरैना गांव से जुड़ा हुआ है, जहां मुख्य सड़क से गांव में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. सड़क की सुविधा नहीं होने के कारण लोग 3 किलोमीटर तक पैदल चलने को मजबूर हैं. लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि, उनकी मांग पर कोई सुनवाई नहीं होती. उन्होंने बताया कि, हल्की बारिश होने के बाद कच्चे रास्ते से गाड़ियों का आवागमन बंद हो जाता है. ऐसे में लोगों को बचते-बचाते पैदल मुख्य सड़क तक आना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि, प्रखंड स्तरीय अधिकारी से लेकर जिले के वरीय अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों से कई बार इस संदर्भ में अनुरोध किया गया लेकिन उनके तरफ से कोई पहल नहीं की गई है.




यहां बता दें कि, डुमराँव इलाके से ही जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे वशिष्ठ नारायण सिंह, सूबे के चर्चित नेता ददन पहलवान, स्व. बसंत सिंह जैसे राजनेताओं ने बिहार तथा देश की राजनीति में अपना अलग मुकाम बनाया है लेकिन, इन राजनेताओं के गृह इलाके में विकास की योजनाओं की देखने के बाद कहीं ना कहीं सुशासन की साख पर बट्टा लगता नजर आता है. राज्य सरकार की सात निश्चय योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, पंचायत अथवा जिला स्तरीय तमाम सरकारी योजनाओं के होते हुए भी स्थिति यह बनी हुई है कि, बारिश के मौसम में मरीजों को चारपाई पर लाद घर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है और यदि कहीं मांगलिक कार्यों को संपन्न कराया जाना हो तो दूल्हा-दुल्हन को भी गोद में उठाकर ले जाना पड़ता है. 3 किलोमीटर तक कच्चे रास्ते में जगह-जगह पानी कीचड़ तथा गड्ढे बने हुए हैं. ऐसे में कल कर गिरने की भी आशंका बनी रहती है. 


राजद के डुमरांव विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी हरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ बद्री सिंह ने बताया कि गांव में जाने के लिए रास्ता नहीं है.  इसको लेकर कई बार आवाज उठाई गई लेकिन, अधिकारी व जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं देते. उन्होंने बताया कि, केवल पुरैना गांव ही नहीं, अनुमंडल क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं जहां आजादी के 73 वर्ष के बाद भी पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. ऐसे में एक बार फिर इस तरह के निर्माण के लिए सरकार के पास लिखित रूप से गुहार लगाई जाएगी.

वीडियो: 




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