उन्होंने सेल्फ स्टडी को आधार बनाकर तैयारी करते हुए बिहार दारोगा की भर्ती परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है. उन्होंने बताया कि वह 2017 में बिहार दरोगा फिजिकल तथा दो 2018 में रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा में असफल होने के बाद भी लगातार प्रयास करते रहे.
- महदह गांव के निवासी वीरेंद्र साह के पुत्र हैं दीपक राज
- कई बार असफलताओं के बाद भी सफलता के लिए करते रहे प्रयास
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: कभी गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा के सामने अभ्यास करते करते एकलव्य ने प्रख्यात धनुर्धर बनने का गौरव हासिल किया था. आज के समय में भी ऐसे कई एकलव्य हैं जो लक्ष्य के प्रति समर्पित भाव से कार्य करते हुए तथा असफलताओं से सबक लेकर आगे बढ़ कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं. ऐसे ही व्यक्तियों में शामिल हैं महदह गांव निवासी वीरेंद्र साह के पुत्र दीपक राज. उन्होंने सेल्फ स्टडी को आधार बनाकर तैयारी करते हुए बिहार दारोगा की भर्ती परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है. उन्होंने बताया कि वह 2017 में बिहार दरोगा फिजिकल तथा दो 2018 में रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा में असफल होने के बाद भी लगातार प्रयास करते रहे.
दीपक राज बताते हैं कि अपनी तैयारी के लिए उन्होंने यूट्यूब तथा सेल्फ स्टडी का सहारा लिया. घर से माता-पिता और नाना नानी का भी काफी समर्थन मिला जिसके कारण उन्होंने असफलताओं के बाद भी कभी हिम्मत नहीं हारी. दसवीं तक की पढ़ाई अपने मामा के यहां केसठ से करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वहां अपने गांव आ गए जहां से कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने जिला मुख्यालय में अवस्थित एमवी कॉलेज से की. उन्होंने बताया कि, सफलता का मूल मंत्र केवल यही था कि असफलताओं से वह कभी घबराए नहीं बल्कि, असफलताओं से सबक लेकर गलतियों को निरंतर सुधारने के प्रयास में लगे रहे.
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