वर्ष 2019 में एक बार फिर इन मूत्रालयों की दशा को सुधारने का प्रयास किया गया और सब के ऊपर वॉटर टैंक लगाए गए और कहा गया कि, अब वॉटर सप्लाई भी की जाएगी जिससे कि यह सभी पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल के लायक बने रहेंगे. वॉटर टैंक भी स्थापित किए गए, उसके नाम पर भी नगर परिषद के द्वारा राशि खर्च की गई लेकिन, वाटर टैंक तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था ना हो सकी.
- 17 लाख 20 हज़ार रुपयों की लागत से लगे थे 10 टॉयलेट
- जिले को ओडीएफ बनाने की पहल के दौरान लगे थे पब्लिक टॉयलेट
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: एक समय जब जिले में रमन कुमार जिला पदाधिकारी हुआ करते थे उस समय पूरे जिले को ओडीएफ बनाने का लक्ष्य लेकर महा अभियान चलाया जा रहा था. कई बार तो जिला पदाधिकारी स्वयं ही कुदाल लेकर लोगों को स्वयं सहयोग से शौचालय घर में बनवाने और उसका इस्तेमाल करने की नसीहत देते नजर आते थे. उसी वक्त नगर में पब्लिक टॉयलेट बनाने की मांग ने जोर पकड़ा और नगर परिषद के द्वारा आगामी कुछ वर्षों में नगर में विभिन्न 10 जगहों पर पब्लिक टॉयलेट स्थापित भी किए गए. जिसके लिए कुल 17 लाख 20 हज़ार रुपये की राशि खर्च हुई.
इन पब्लिक टॉयलेट की देखरेख प्रत्येक वार्ड के सफाई कर्मियों तथा सुपरवाइजर आदि के द्वारा किए जाने की बात कही गई थी लेकिन, स्थापना के बाद से ही ना तो पब्लिक टॉयलेट कि साफ-सफाई हुई और ना ही उसके रखरखाव के प्रति विशेष ध्यान दिया गया. स्थिति यह हुई कि धीरे-धीरे यह सभी टॉयलेट इस्तेमाल करने लायक ही नहीं रहे. वर्ष 2019 में एक बार फिर इन मूत्रालयों की दशा को सुधारने का प्रयास किया गया और सब के ऊपर वॉटर टैंक लगाए गए और कहा गया कि, अब वॉटर सप्लाई भी की जाएगी जिससे कि यह सभी पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल के लायक बने रहेंगे. वॉटर टैंक भी स्थापित किए गए, उसके नाम पर भी नगर परिषद के द्वारा राशि खर्च की गई लेकिन, वाटर टैंक तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था ना हो सकी. नतीजा यह हुआ कि सभी पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल के लायक रहे ही नहीं और लोगों ने उसका इस्तेमाल करना ही छोड़ दिया. यही हाल लगभग साढ़े 6 लाख रुपये प्रत्येक की कीमत से स्थापित चलंत शौचालयों का भी हुआ.
सभी मूत्रालय काफी दिनों तक नगर के विभिन्न चौक-चौराहों पर यह नजर आते थे लेकिन, पिछले कुछ दिनों से से यह सभी पब्लिक टॉयलेट एक-एक कर गायब हो गए गंभीर बात यह है कि, यह पब्लिक टॉयलेट कहां चले गए यह बात नगर परिषद के जिम्मेदार लोगों को भी नहीं मालूम है. खुद नगर परिषद के उप मुख्य पार्षद इस बात से अनभिज्ञता जताते हैं और कहते हैं कि सभी मूत्रालय चोरी हो गए हैं. ऐसे में प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी. वह ईमानदारी से यह भी स्वीकार करते हैं कि जितने रुपये पब्लिक टॉयलेट निर्माण के लिए खर्च किए गए थे उस में स्थायी मूत्रालय बनाए जा सकते थे.
उप मुख्य पार्षद से जब यह पूछा गया कि जनता के टैक्स के पैसों से विकास की जो योजनाएं बनाई गई हैं वह योजनाएं धरातल पर कितनी सफल हो सकी हैं? इनकी मॉनिटरिंग कौन करेगा? इस सवाल का जवाब भी उप मुख्य पार्षद ने दिया और कहा कि निश्चित रूप से मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी नगर परिषद के वार्ड पार्षद व मुख्य तथा उप मुख्य पार्षद की थी और अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह निश्चय ही चूक है.
कहते हैं उप मुख्य पार्षद:
नगर परिषद क्षेत्र में स्थापित किए गए कई पब्लिक टॉयलेट गायब हुए हैं. निश्चित रूप से यह गंभीर विषय है. मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी.
इन्द्रप्रताप सिंह
उप मुख्य पार्षद
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