कहा कि, समूचा बुंदेलखंड लंबे समय से सूखे की मार झेल रहा है जबकि, वहां की खेती पूर्ण रुप से मानसून पर निर्भर है, जिससे वह अपना जीवनयापन करते हैं. बक्सवाहा के जंगलों के कटने से जहां पर्यावरण असंतुलित होगा वहीं, हज़ारों बेजुबानों का बसेरा छीन जाएगा. हम लोग साइकिल यात्रा के माध्यम से लोगो को जागरूक करने में लगे है कि, आम जन पेड़ पौधों की महत्ता को समझ सके.
- मध्यप्रदेश के बक्सवाहा के जंगलों को बचाने के लिए निकली है साइकिल यात्रा
- मुजफ्फरपुर के पर्यावरण प्रेमी हैं शामिल, बक्सर के पर्यावरण प्रेमियों का मिला समर्थन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: मध्य प्रदेश के बक्सवाहा के जंगलों को बचाने के उद्देश्य से बिहार के मुजफ्फरपुर से शनिवार को शुरू हुई साइकिल यात्रा सोमवार की रात बक्सर पहुंची. साइकिल यात्री पीपल, नीम, तुलसी अभियान के सदस्य सिदार्थ झा और राजीव कुमार का स्वागत ज्योति प्रकाश चौक पर आसा पर्यावरण सुरक्षा के राज्य संयोजक विपिन कुमार और शिक्षक नेता डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से किया. साइकिल यात्रियों के दल ने रात्रि विश्राम इटाढ़ी रोड स्थित विश्वनाथ नगर के कंचन देवी स्मृति कुंज में किया वहीं, मंगलवार को सुबह पर्यावरण संरक्षण पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. परिचर्चा का संचालन आसा पर्यावरण सुरक्षा के संयोजक विपिन कुमार द्वारा व अध्यक्षता प्राथमिक शिक्षक संघ गोप गुट के जिलाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने की.
परिचर्चा को संबोधित करते हुए शिक्षक रमाकांत राम ने कहा कि, हम जंगलों को काट धरती पर मानव जीवन को खतरे में डाल रहे हैं, जिसके लिए आने वाली पीढ़ी हमे कभी माफ नही करेगी. साइकिल यात्री सिदार्थ झा ने कहा कि, समूचा बुंदेलखंड लंबे समय से सूखे की मार झेल रहा है जबकि, वहां की खेती पूर्ण रुप से मानसून पर निर्भर है, जिससे वह अपना जीवनयापन करते हैं. बक्सवाहा के जंगलों के कटने से जहां पर्यावरण असंतुलित होगा वहीं, हज़ारों बेजुबानों का बसेरा छीन जाएगा. हम लोग साइकिल यात्रा के माध्यम से लोगो को जागरूक करने में लगे है कि, आम जन पेड़ पौधों की महत्ता को समझ सके. उन्होंने कहा कि 9 अगस्त को हम पर्यावरण प्रेमी अपने खून से सरकार को पत्र लिख कर बक्सवाहा को बचाने के लिए दरख्वास्त करेंगे.
अखिल भारतीय सत्य शोधक समाज के अध्यक्ष शिव प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना में जहाँ लाखो लोग आक्सीजन की कमी के कारण अपने जीवन को खो दिया. ऐसी विषम परिस्थिति में सरकार द्वारा हीरे की खोज के लिए बक्सवाहा के जंगलों को काटा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. हमे हीरा नही चाहिए बल्कि हरा चाहिए.
आसा पर्यावरण सुरक्षा के संयोजक विपिन कुमार ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना ने ऑक्सीजन की महत्ता का अहसास कराया लाखो लोग ऑक्सीजन की कमी के कारण काल के गाल में समा गए. वायु मंडल में ऑक्सीजन की कमी पेड़ पौधों की कमी को इंगित करता है. आसा पर्यावरण सुरक्षा लोगो से अपील करता है कि आप पेड़ लगाने के साथ साथ पेड़ की रक्षा का संकल्प ले ताकि धरती पर मानव जीवन सुरक्षित रह सके. परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे शिक्षक नेता डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि, हमें जल और जंगल बचाने का संकल्प लेना होगा तभी हम धरती पर जीवन की कल्पना कर सकते है. ये नौजवान आज के भगत सिंह के प्रतीक हैं. ये बिहार के लाखों युवाओं की ऊर्जा को लेकर बकस्वाहा जा रहे हैं. इनके जज्बे को बक्सरवासी सलाम करते हैं. ये युवा असली राष्ट्रवादी हैं.
मौके पर समाज सेवी इंदु शेखर प्रसाद, भरत मिश्र, शिक्षक रमाकांत राम , मनोज कुमार , सुरेंद्र प्रताप सिंह, अश्विनी कुमार लाल, शालिग्राम पाल, चंदन कुमार सिंह, स्वतंत्र कुमार, रोहित कुमार, प्रिंस कुमार, सरिता कुमारी सहित कई अन्य लोग शामिल रहे. अंत में साइकिल यात्रियों के दल को फूल माला और अंग वस्त्र से सम्मानित करते हुए आगे की यात्रा के लिए रवाना किया गया.
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