वीडियो: जातिवार जनगणना कराने की मांग को लेकर फूंका पीएम का पुतला ..

वक्ताओं ने कहा कि  यह सुनने में भी अजीब लगता है कि, देश में जहां जानवरों का वर्गीकरण करने के लिए उनकी अलग अलग गणना हो सकती है वहीं, जाति आधारित जनगणना नहीं हो सकती. जाति आधारित जनगणना केवल इसलिए नहीं जरूरी है क्योंकि, यह जातियों की वर्तमान स्थिति को बताएगी बल्कि, इसलिए भी जरूरी है कि जाति के आधार पर जो विकास की योजनाएं बनाई जाती हैं वह आसानी से लोगों को मिल सके. 





- भारतीय पिछड़ा-शोषित संगठन ने निकाला आक्रोश मार्च
- कहा, मेडिकल की परीक्षा में ओबीसी आरक्षण खत्म करना भी सही नहीं

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जातिगत जनगणना नहीं कराने के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में भारतीय पिछड़ा-शोषित संगठन (बीपीएसएस) ने कमलदह पोखर स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष से शुरु करते हुए नगर के अंबेडकर चौक तक एक आक्रोश मार्च निकाला. इस दौरान मेडिकल परीक्षा में ओबीसी को आरक्षण नहीं देने का भी विरोध किया गया. मार्च की समाप्ति के पश्चात प्रधानमंत्री का पुतला दहन कर विरोध जताया गया.



इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि  यह सुनने में भी अजीब लगता है कि, देश में जहां जानवरों का वर्गीकरण करने के लिए उनकी अलग अलग गणना हो सकती है वहीं, जाति आधारित जनगणना नहीं हो सकती. जाति आधारित जनगणना केवल इसलिए नहीं जरूरी है क्योंकि, यह जातियों की वर्तमान स्थिति को बताएगी बल्कि, इसलिए भी जरूरी है कि जाति के आधार पर जो विकास की योजनाएं बनाई जाती हैं वह आसानी से लोगों को मिल सके. 



इसके साथ ही वक्ताओं ने यह भी कहा कि, भारत सरकार के द्वारा पिछले 13 जुलाई को नोटिफिकेशन के माध्यम से एमबीबीएस परीक्षा के ऑल इंडिया कोटा में सलोनी कुमारी के मुकदमे के बहाने ओबीसी को आरक्षण से वंचित कर दिया है. यह मुकदमा रिट पिटिशन के तहत 6 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में बिना किसी अंतरिम राहत के लंबित है. वक्ताओं ने कहा कि, महज न्यायालय में मामला लंबित रहने के कारण देश की 52 फीसद आबादी को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता. यह कृत्य किए जाने से देश भर के 11 हज़ार से ज्यादा आवेदक एमबीबीएस डॉक्टर बनने से वंचित रह गए.

कार्यक्रम की समाप्ति के बाद जिला पदाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को 5 सूत्री स्मार पत्र दिया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को एक माह के अंदर एक विशेष रिट का निपटारा करने का निर्देश देने, इस तरह के तमाम मामलों को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्राथमिकता देने, आरक्षित वर्ग के लोगों को न्याय मिलने में देरी ना हो इसलिए एससी-एसटी, ओबीसी के सभी बैकलॉग को भरते हुए भविष्य में न्यूनतम योग्यता पर भी सारी सीटों को भरने का निर्देश देने तथा वर्ष 2021 की जनगणना जातिवार कराने, ओबीसी की गिनती के लिए भारत सरकार को निर्देश देने के साथ-साथ जातिवार जनगणना के आधार पर सभी जातियों, वर्गों, समूहों और समुदायों को न्यायपालिका सहित जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी' के सिद्धांत पर कार्य करने का मौका दिया जाए.

उपस्थित लोगों में वरिष्ठ अधिवक्ता गणपति मंडल, जुनैद आलम, मो. शमीम जमाल, भदेश्वर कुशवाहा, अखिलेश्वर प्रताप सिंह, विनय शंकर सिंह, गिरिजेश्वर सिंह, सुधीर गुप्ता, चंदन यादव, लाल बाबू यादव ,विश्वा यादव, सोनू यादव, आशुतोष गुप्ता, वीरेंद्र साह, प्रेम यादव, सुमन शेखर, रमेश कुशवाहा, सुरेश भारती, कुणाल आजाद, संदीप कुमार, देवेंद्र सिंह, अशोक कुमार, विजय बौद्घ, जितेंद्र कुमार आदि मौजूद रहे.

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