कर्तव्यनिष्ठा या दिखावा? अक्सर पानी में "छई-छपा-छई" करते नजर आते हैं यह थानेदार ..

उन्होंने यह बताया कि उन्हें पानी में तैरना आता है इसीलिए उन्हें पानी से डर नहीं लगता. वैसे इस बयान में उन्होंने किसको डरपोक कहा यह बात तो नहीं समझ में आई लेकिन, एक रहस्य अब भी अनसुलझा रह गया कि जब वह अनुसंधान में लगे हुए थे तो उनकी तस्वीरें किसने खींची और फिर वह वायरल कैसे हुई?



 





- कभी पिस्तौल ढूंढने तो कभी शराब ढूंढने के लिए कपड़े उतारने का बहाना ढूंढते हैं थानेदार 
- अक्सर वायरल हो जाती हैं बिना वर्दी के अनुसंधान में लगे थानेदार की तस्वीरें

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: सुर्खियों में तो हर कोई बना रहना चाहता है. चर्चा में रहने के लिए लोग एक से बढ़कर एक नायाब तरीके ढूंढते रहते हैं. कुछ लोग अपने कार्यों से चर्चा में रहते हैं तो कुछ लोग चर्चा में रहने के लिए अच्छा खासा दिखावा भी करते हैं. हालांकि, पब्लिक को यह बात समझ में आ ही जाती है.


कि कौन कब और क्यों दिखावा कर रहा है. 

जिले के कोरानसराय के थानाध्यक्ष जुनेद आलम की हालत भी इन दिनों कुछ ऐसी हुई है, जिसने एक तरफ जहां चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है वहीं, दूसरी तरफ कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं. दरअसल, थानेदार इन दिनों वर्दी उतारकर पानी में "छपाक" करने जरा भी परहेज नहीं कर रहे. पिछले दिनों हत्याकांड के बाद अपराधी के द्वारा कथित रूप से धान के खेतों में पानी के बीच पिस्तौल फेंके जाने की बात कहने पर थानाध्यक्ष जहां कपड़े उतार कर पानी में पिस्तौल ढूंढते नजर आएं वहीं, दूसरी तरफ सोमवार को एक बार फिर उन्होंने कुछ इसी तरह का दृश्य पेश किया और वह फिर पानी में "छई-छपा-छई" करते नजर आए. बताया गया कि वह गुप्त सूचना के आधार पर थाना क्षेत्र के बैरिया गाँव में सड़क के किनारे खेतों में जमा पानी में शराब की बोतलें ढूंढ रहे थे. 


थानाध्यक्ष ने स्वयं बताया कि "वह लगातार खेत के कोने-कोने में शराब की बोतले ढूंढते रहे और अंत में उन्हें सफलता मिल ही गई" यह पूछे जाने पर कि वह बार-बार पानी में उतर कर इस तरह का काम क्यों करते हैं? उन्होंने यह बताया कि उन्हें पानी में तैरना आता है इसीलिए उन्हें पानी से डर नहीं लगता. वैसे इस बयान में उन्होंने किसको डरपोक कहा यह बात तो नहीं समझ में आई लेकिन, एक रहस्य अब भी अनसुलझा रह गया कि जब वह अनुसंधान में लगे हुए थे तो उनकी तस्वीरें किसने खींची और फिर वह वायरल कैसे हुई?

बहरहाल, इस खबर में हम थानाध्यक्ष की बहादुरी पर कोई सवाल नहीं उठा रहे लेकिन, कहीं ना कहीं जनता जरूर यह पूछ रही है कि जिले के सभी थानाध्यक्षों में सबसे बहादुर थानाध्यक्ष क्या अपनी इस कार्यशैली से अपराध नियंत्रण की दिशा में भी कोई ठोस कार्य कर पाएंगे?







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