दूसरों ने छीन लिया हक, अब 4 दिन से सपरिवार अनशन पर हैं 'सन ऑफ मल्लाह' के अपने लोग ..

कहना है कि पिछले 4 दिनों से भूख प्यास से बेहाल वह परेशान हैं लेकिन, जिला प्रतिदिन सामने से गुजरने वाले जिला पदाधिकारी अथवा जिला स्तरीय पदाधिकारी ने उनकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा. ऐसे में उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं होगा तो वह समाहरणालय के समक्ष ही अपनी अंतिम सांस तक अनशन पर बैठे रहेंगे.







- समाहरणालय के समक्ष पूरे परिवार के साथ अनशन पर बैठे हैं मछुआरे
- कहते हैं नहीं सुनते मंत्री, अधिकारी भी कर रहे मनमानी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिले के ब्रह्मपुर तथा अन्य गंगा तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरों ने समाहरणालय के समक्ष पिछले 27 अगस्त से जारी अपना अनशन चौथे दिन भी जारी रखा. ब्रह्मापुर मछुआ संघ के बैनर तले सपरिवार अनशन पर बैठे मछुआरों का कहना है कि पूर्व में जहां पुल-पुलिया के निर्माण के कारण उनकी रोजी-रोटी पर आफत आई थी वहीं, दूसरी तरफ अब अधिकारियों की मनमानी से उनकी रोजी-रोटी पूरी तरह से छिन गई है. उनका कहना है कि सरकार के द्वारा मछुआरों के विकास के लिए मत्स्य जीवी सहयोग समिति का निर्माण किया गया लेकिन, उस समिति में मछुआरों को न रखकर दूसरी बिरादरी के बड़े-बड़े व्यवसायियों को जोड़ा गया है. जो मछुआरों की हक मारी कर रहे हैं. खास बात यह है कि इस बात को लेकर ना तो अधिकारी और ना ही विभाग के मंत्री तथा खुद को 'सन ऑफ मल्लाह' कहने वाले मुकेश साहनी कुछ कर पा रहे हैं. उन्होंने तो मुलाकात के दौरान यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनकी बात तक नहीं सुनते. ऐसे में मछुआरे अब सरकार तक अपनी बात स्वयं पहुंचाने के लिए समाहरणालय के समक्ष अनशन पर बैठे हुए हैं. मछुआरों का कहना है कि पिछले 4 दिनों से भूख प्यास से बेहाल वह परेशान हैं लेकिन, जिला प्रतिदिन सामने से गुजरने वाले जिला पदाधिकारी अथवा जिला स्तरीय पदाधिकारी ने उनकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा. ऐसे में उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं होगा तो वह समाहरणालय के समक्ष ही अपनी अंतिम सांस तक अनशन पर बैठे रहेंगे.




अनशन पर बैठे शिवजी मल्लाह ने बताया कि उनकी प्रमुख मांगे यह है कि उत्तर प्रदेश के मछुआरों को पूर्ण रूप से लिखित प्रमाण पत्र के द्वारा बिहार की सीमा में मछली मारने से रोका जाए. इसके अतिरिक्त ब्रह्मपुर मत्स्य जीवी संघ में मल्लाह जाति के स्थानीय 520 लोगों को सदस्य बनाया जाए. इतना ही नहीं सभी मछुआरों का कल्याण हो सके इसके लिए मच्छरदानी जाल का प्रयोग पूर्णत: बंद कर दिया जाए. साथ ही साथ 40 वर्षों से कार्य कर रही ब्रह्मपुर मत्स्यजीवी सहयोग समिति के कार्यकारिणी की जांच भी की जाए. उन्होंने कहा कि गंगा नदी से धर्मावती नदी होते हुए ब्रह्मपुर के गायघाट नारा पर बाँस-बल्ला गाड़ कर और पानी को जाल से घेर कर उसका मुंह बंद कर दिया गया है, जिसे हटाना बेहद आवश्यक है. ऐसा नहीं करने से स्थानीय मछुआरों की रोजी-रोटी पर आफत आन पड़ी है. आमरण अनशन पर बैठी मालती देवी ने बताया कि उनके लिए जल ही जायदाद है. ऐसे में उन्हें मछली मारने से रोकना उनकी संपत्ति छीनने जैसा है. 

मजदूर नेता डॉ मनोज यादव ने कहा कि मछुआ संघ के लोग पिछले कुछ वर्ष पूर्व भी यहां धरना पर बैठे हुए थे, उस समय भी उनकी यही मांग थी तात्कालिक जिला पदाधिकारी ने बीसीओ को भेजकर उन्हें आश्वासन तो दिया था लेकिन, इन्हें आज तक कोई लाभ नहीं मिला. यह बहुत दुख की बात है कि जिस बिहार सरकार के द्वारा जाति देखकर मंत्री बनाए जाते हैं वहां इसी बिरादरी के मंत्री यह कह रहे हैं कि वह इस मामले में कुछ नहीं कर सकते क्योंकि, नीतीश जी उनकी सुनते नहीं है. महर्षि च्यवन थर्मल पावर मजदूर यूनियन के अध्यक्ष डॉ अश्विनी कुमार वर्मा ने बताया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि मछुआरे जाति के लोगों का हक मारकर दूसरे जाति के लोग मछली के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और इस मामले पर प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वह कई बार बीसीओ तथा जिला पदाधिकारी से बात कर चुके हैं लेकिन, नतीजा कुछ भी नहीं निकला. अश्विनी के मुताबिक यह मामला केवल ब्रह्मपुर का नहीं बल्कि चौसा और गंगा तटीय सभी इलाकों का है.







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