कहा कि चिकित्सक को कोई गलतफहमी हुई है क्योंकि, उन्होंने चिकित्सक से यह स्पष्ट कहा था कि अस्पताल हमें किसी भी प्रकार के बाहरी अथवा अवांछित व्यक्ति का प्रवेश बर्दाश्त नहीं होगा और ऐसा पाए जाने पर वैसे व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उन्होंने चिकित्सक से भी सहयोग मांगा था लेकिन, उनकी बातों को गलत अर्थों में लिया गया.
अस्पताल में बैठे चिकित्सक डॉ अनिल कुमार सिंह (बाएं) |
- अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक अनिल सिंह ने सिविल सर्जन पर लगाया दुर्व्यवहार और धमकी देने का आरोप
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने गठित की जांच टीम
- सिविल सर्जन ने दी सफाई कहा, गलतफहमी के शिकार हुए चिकित्सक
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ ने सदर अस्पताल में दलालों की सक्रियता की सूचना मिलने पर अपना अभियान शुरू किया लेकिन पहले ही दिन सदर अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अनिल सिंह ने सिविल सर्जन पर गंभीर आरोप लगा दिए. उन्होंने कहा है कि सिविल सर्जन ने जहां उनके साथ दुर्व्यवहार किया वहीं, दूसरी तरफ उन्हें गोली मारने तथा ट्रांसफर तक तक की धमकी दे दी.
वरिष्ठ चिकित्सक के द्वारा सिविल सर्जन पर इस तरह के आरोप लगाए जाने के बाद मामला गरम हो गया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन तक पहुंच गया जिसके बाद मामले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बक्सर शाखा के अध्यक्ष डॉ महेंद्र प्रसाद ने जांच टीम गठित करने की घोषणा करते हुए कहा कि जांच टीम अपनी रिपोर्ट समर्पित करेगी जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
घटनाक्रम की जानकारी देते हुए चिकित्सक डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि वह सोमवार को सदर अस्पताल के आउटडोर में बैठकर मरीजों को अपनी सेवाएं दे रहे थे. इसी बीच सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ मौके पर पहुंच गए और उन्होंने यह पूछा कि आप आज के रोस्टर के डॉक्टर की जगह क्यों बैठे हुए हैं. साथ ही उन्होंने किसी अस्पत निजी अस्पताल के रेफरल लेटर पैड रखे होने की बात पर एतराज जताया, जिस पर डॉ अनिल ने उन्हें बताया कि वह लेटर पैड किसने रखा था यह उन्हें नहीं मालूम. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिस डॉक्टर की ड्यूटी रोस्टर के अनुसार आउटडोर में है वह फिलहाल राउंड पर गए हुए हैं ऐसे में वह मरीजों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं. चिकित्सक के मुताबिक उनके इतना कहते ही सिविल सर्जन आग बबूला हो गए और उनके साथ दुर्व्यवहार करने लगे.
जबकि सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ से पूछने पर उन्होंने बताया कि, वरिष्ठ चिकित्सक गलतफहमी का शिकार हो गए हैं ऐसा कोई मामला ही नहीं है. सिविल सर्जन के मुताबिक, उन्हें लगातार शिकायत मिल रही थी कि अस्पताल में निजी अस्पतालों के प्रतिनिधि पहुंचते हैं और वह रोगियों को अपने यहां ले जाने की कोशिश करते हैं. इस बात की जानकारी मिलने पर वह अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे और उन्होंने निजी अस्पताल का लेटर पैड रखे होने पर इसकी जानकारी डॉ अनिल कुमार से लेनी चाही. सीएस ने दुर्व्यवहार की बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि चिकित्सक को कोई गलतफहमी हुई है क्योंकि, उन्होंने चिकित्सक से यह स्पष्ट कहा था कि अस्पताल हमें किसी भी प्रकार के बाहरी अथवा अवांछित व्यक्ति का प्रवेश बर्दाश्त नहीं होगा और ऐसा पाए जाने पर वैसे व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उन्होंने चिकित्सक से भी सहयोग मांगा था लेकिन, उनकी बातों को गलत अर्थों में लिया गया.
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