पुण्यतिथि पर याद किए गए स्व. घनश्याम मिश्र

उन्होंने गीता का भोजपुरी अनुवाद 'अमरावती कथा' जिसका एक अंश 'चांदी का झुनझुना' स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रम में भी पढ़ाया जाता है. इसके अतिरिक्त उनकी अन्य रचनाओं में 'चकबंदी विधान' एवं तुलसीकृत 'पार्वती मंगल' एवं 'जानकी मंगल' का भोजपुरी अनुवादित काफी प्रचलित रहा.





- अधिवक्ता भवन में आयोजित किया गया था कार्यक्रम
- साहित्यिक रचनाओं के बारे में भी हुई चर्चा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला अधिवक्ता संघ के तत्वाधान में वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय घनश्याम मिश्रा 16 वीं पुण्यतिथि पर उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए उन्हें याद किया गया. अधिवक्ता भवन में आयोजित कार्यक्रम में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वह आजीवन न्याय के पक्षधर रहे. 





उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर ठाकुर विधि महाविद्यालय में प्राध्यापक के तौर पर अपनी सेवा प्रदान की. साथ ही भोजपुरी साहित्य के लिए भी अद्वितीय योगदान दिया है. उन्होंने गीता का भोजपुरी अनुवाद 'अमरावती कथा' जिसका एक अंश 'चांदी का झुनझुना' स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रम में भी पढ़ाया जाता है. इसके अतिरिक्त उनकी अन्य रचनाओं में 'चकबंदी विधान' एवं तुलसीकृत 'पार्वती मंगल' एवं 'जानकी मंगल' का भोजपुरी अनुवादित काफी प्रचलित रहा. कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार सिंह के द्वारा तथा वरिष्ठ अधिवक्ता संचालन रामेश्वर प्रसाद वर्मा के द्वारा किया गया.

मौके पर कोविड संक्रमण से बचाव के नियमों का अनुपालन करते हुए अन्य अधिवक्ताओं ने भी दिवंगत अधिवक्ता को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए. मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता बबन ओझा, सूबेदार पांडेय, गणेश ठाकुर, विष्णु दत्त द्विवेदी, हृदय नारायण मिश्र, मनीष पांडेय के साथ साथ स्वर्गीय घनश्याम मित्र के जेष्ठ पुत्र डा. कन्हैया मिश्र, सामाजिक कार्यकर्ता चंदन कात्यायन, प्रभाकर मिश्रा भी मौजूद रहे. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद दिवंगत अधिवक्ता के पुत्र अधिवक्ता संजय मिश्रा ने आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया.






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