प्रिया-प्रियतम मिलन महोत्सव : ध्रुव चरित्र सुन भाव-विभोर हुए भक्तजन ..

कहा कि भक्त ध्रुव ने पिता व सौतेली मां के व्यवहार के बाद घर छोड़ दिया था और जंगल में तपस्या शुरू कर दी थी. जंगल में उन्हें भगवान ने दर्शन दिए. इसके बाद वह घर चले आए. उन्होंने बताया कि भक्त ध्रुव ने आठ वर्ष की उम्र में ही भगवान की प्राप्ति कर ली थी.




- मामाजी महाराज की पुण्य स्मृति में चल रहे 14 वें श्री प्रिया-प्रियतम मिलन महोत्सव का हुआ है आयोजन
- कथावाचक उमेश भाई ओझा ने सुनाई ध्रुव चरित्र की कथा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : प्रख्यात श्रीनारायण दास भक्तमाली उपाख्य मामाजी महाराज की पुण्य स्मृति में चल रहे 14 वें श्री प्रिया-प्रियतम मिलन महोत्सव के पांचवे दिन विविध कार्यक्रम आयोजित हुए प्रातः काल से ही श्री रामचरित मानस जी के नवाह परायण पाठ से आश्रम परिसर गुंजायमान रहा इसके साथ ही वैदिक मंत्रोचार के साथ मामा जी महाराज के उपास्य भाव श्री राम जानकी जी का वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजन अर्चन किया गया. पूज्य मामा जी महाराज की पुण्य स्मृति में चल रहे महोत्सव के दौरान हो रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक पूज्य उमेश भाई ओझा जी के मुख से ध्रुव चरित्र की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन सून भक्तजन भावविभोर हो गए. श्री ओझा ने कहा कि जो भगवान के मार्ग पर चलता है उसे भगवान सांसारिक एवं पर पारलौकिक सुख दोनों प्रदान करते हैं. जिस मनुष्य के ऊपर भगवान की कृपा हो जाती है समस्त दुनिया उसके आगे नतमस्तक हो जाती है और जिससे भगवान रूठ जाते हैं वह व्यक्ति महत्वहीन हो जाता है.



श्री ओझा ने कहा यह भगवान की भक्ति का ही परिणाम था कि ध्रुव जी को सांसारिक जीवन में भी सफलता मिली और पारलौकिक जीवन में भी ऐसा स्थान मिला जो आज तक किसी दूसरे को प्राप्त नहीं हो सका. भगवत भजन एवं श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही सच्चे सुख की प्राप्ति होती है. श्री ओझा ने कहा कि भक्त ध्रुव ने पिता व सौतेली मां के व्यवहार के बाद घर छोड़ दिया था और जंगल में तपस्या शुरू कर दी थी. जंगल में उन्हें भगवान ने दर्शन दिए. इसके बाद वह घर चले आए. उन्होंने बताया कि भक्त ध्रुव ने आठ वर्ष की उम्र में ही भगवान की प्राप्ति कर ली थी. ध्रुव की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान में उन्हें अटल पदवी प्रदान की.






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