तो क्या समीक्षा बैठक में अपर गृह सचिव को दी गई गलत जानकारी?

राजद झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष संतोष भारती का कहना है कि निश्चित रूप से बिहार सरकार की योजनाएं केवल अधिकारियों के फाइलों तक ही रहती हैं. धरातल की सच्चाई से उनका कोई लेना देना नहीं होता है और इन्हीं कागजी योजनाओं के बल पर सूबे के मुख्यमंत्री सुशासन का दम भरते हैं. 

 




- भूमि विवाद के मामलों पर डीएम ने कहा था ऑल इज वेल
- पत्रकारों के समक्ष पहुंचे लोगों ने बताया, वर्षों से लगा रहे हैं दौड़

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : अपर गृह सचिव चैतन्य कुमार द्वारा बुधवार को डीएम व एसपी के साथ समाहरणालय सभागार में समीक्षा बैठक की. इस  दौरान अपर सचिव द्वारा जमीनी विवाद के मामले पूछे जाने पर जिलाधिकारी अमन समीर ने कहा कि जिले में थाना व अंचल स्तर पर भूमि विवाद के मामले को सुलझाया जाता है. वहीं, डुमरांव अनुमंडल में एक मामला लंबित है, जिसको सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त बक्सर अनुमंडल में भी जमीन विवाद के मामले में त्वरित कार्रवाई की जाती है.

अपर गृह सचिव के सामने भले ही डीएम ने यह बात कही हो लेकिन सच्चाई यह है कि भूमि विवाद के कई मामले अब भी लंबित हैं. शायद जिला पदाधिकारी उनका उल्लेख करना भूल गए.

दरअसल, सदर प्रखंड के लालगंज मौजा में जमीन खरीदने वाले लोगों ने इस बाबत पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि लालगंज मौजा के खाता संख्या 141 प्लाट 26 में दामोदर प्रसाद गुप्ता, आलोक कुमार का 12 दिसंबर 2020 से विवाद चला आ रहा है, जिसमे अंचल कार्यालय, थाने से लेकर एसडीएम, डीएम व एसपी तक पत्र के माध्यम से कई बार गुहार लगाई गई परंतु अब तक कोई समाधान नहीं हुआ. 

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि जमीन पर एक दबंग व्यक्ति सुदामा पहलवाल द्वारा कब्जा किया गया है. इस मामले में 3 जनवरी को डीएम व एसपी को भी पत्र दिया गया था और 16 जनवरी को मुफस्सिल थाने में रंगदारी व मारपीट का केस दर्ज करवाया गया था, जिसमें आरोपित की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन, उक्त व्यक्ति पर आधा दर्जन मामले लंबित होने के बावजूद बेल पर रिहा हो गया. 12 फरवरी को एसडीएम द्वारा दोनो पक्षों के साथ बैठक कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया लेकिन सुदामा सिंह द्वारा अपने कागजात प्रस्तुत नहीं किए गए, जिस पर अंचलाधिकारी व थानाध्यक्ष को जमीन चिन्हित करने का आदेश जारी किया गया हालांकि, दबंग द्वारा न्यायालय का हवाला देकर जमीन के कागजात नहीं दिखाए गए नहीं दिखाया और जमीन चिन्हित करने से रोक दिया गया.

इसके अतिरिक्त नया बाजार रविदास आश्रम परिसर में सामुदायिक भवन का निर्माण हुआ है, पिछले दो वर्षो से संरक्षक दीपचंद दास दाखिल-खारिज के लिए अंचल से लेकर अनुमंडल तक दौड़ लगा रहे हैं. परंतु कोई समाधान नहीं हुआ. राजद झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष संतोष भारती का कहना है कि निश्चित रूप से बिहार सरकार की योजनाएं केवल अधिकारियों के फाइलों तक ही रहती हैं. धरातल की सच्चाई से उनका कोई लेना देना नहीं होता है और इन्हीं कागजी योजनाओं के बल पर सूबे के मुख्यमंत्री सुशासन का दम भरते हैं. 




















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