समाजसेवी हनुमान अग्रवाल को पितृ शोक ..

बताया कि उनके पिता का जन्म वर्ष 1924 में हरियाणा के एक छोटे से गांव में हुआ था. आजादी के पूर्व जब गांव में लोगों को दवाओं की उपलब्धता नहीं हो पाती थी तो वह शहर से दवाई लाकर अपने घर में रखते थे और लोगों को नि:शुल्क वितरित किया करते थे. इसके अतिरिक्त भी सामाजिक कार्यों में वह सदैव बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे. 






- 100 वर्ष की अवस्था मे ली अंतिम सांस
- अपने पीछे छोड़ गए हैं भरा-पूरा परिवार

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : समाजसेवी डॉ हनुमान प्रसाद अग्रवाल को पितृ शोक हुआ है. उनके पिता जय नारायण अग्रवाल का तकरीबन 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने अपने छोटे पुत्र समाजसेवी हनुमान प्रसाद अग्रवाल के नगर के नया बाजार स्थित एलमुनियम फैक्ट्री कैंपस में अवस्थित घर पर आखिरी सांस ली. स्वर्गीय अग्रवाल अपने पीछे दो पुत्र, तीन पुत्रियों एवं पोते-पोतियो का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनका अंतिम संस्कार चरित्र बने स्थित मुक्तिधाम में परिजनों तथा समाज के लगभग हर वर्ग के लोगों की उपस्थिति में किया गया. सभी ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्राथना की तथा उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए.





डॉ हनुमान प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि उनके पिता जीवन पर्यंत समाज के लिए समर्पित रहे.  डॉ अग्रवाल ने बताया कि उनके पिता का जन्म वर्ष 1924 में हरियाणा के एक छोटे से गांव में हुआ था. आजादी के पूर्व जब गांव में लोगों को दवाओं की उपलब्धता नहीं हो पाती थी तो वह शहर से दवाई लाकर अपने घर में रखते थे और लोगों को नि:शुल्क वितरित किया करते थे. इसके अतिरिक्त भी सामाजिक कार्यों में वह सदैव बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे. 

वह गल्ले का काम करते थे और 1967 में बक्सर पहुंचे थे. यहां रहते हुए भी वह सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे. जिला प्रशासन के द्वारा स्वीप कार्यक्रम में उन्हें सबसे बुजुर्ग मतदाता होने पर सम्मानित भी किया गया था वहीं, इसी महीने मारवाड़ी महिला मंच के द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया था. डॉ हनुमान अग्रवाल ने बताया कि पिता जी की ही प्रेरणा से वह तथा उनके बड़े भाई दुलीचंद अग्रवाल सदैव सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. बड़े भाई दुलीचंद अग्रवाल अमेरिका में रहते हैं. वह एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी हैं जबकि तीनों बहनें शादी के पश्चात एक बेहतर जीवन जी रही हैं.







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