भक्ति से खुल जाता है परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग : स्वामी अनंताचार्य

ऐसा नहीं है कि भक्ति के लिए सांसारिक जीवन का त्याग करना पड़ता है. गृहस्थ जीवन में भी रहकर भक्ति और वैराग्य प्राप्त किया जा सकता है. जैसे राजा जनक जी ने प्राप्त किया था. भगवान ने श्रीमद्भागवत गीता में कहा है सत्कर्म से स्वर्ग तक का सुख प्राप्त हो सकता है मगर भगवान की भक्ति से बैकुंठ का सुख भी प्राप्त हो जाता है. 





- श्रीमद् भागवत कथा के दौरान स्वामी अनंताचार्य जी महाराज ने बताया भक्ति का लाभ
- कहा गृहस्थ जीवन में रहकर भी राजा जनक की तरह पा सकते हैं वैराग्य

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सनातन संस्कृति समागम के दौरान जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री अनंताचार्य जी महाराज जी ने श्रीमद् भागवत कथा के दौरान बताया कि ज्ञान और वैराग्य भक्ति के दो पुत्र हैं. जब जीवन मे भगवान के प्रति भक्ति आ जाती है तो परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग खुल जाता है, भक्ति भी चंचल है इसे सदैव पकड़ कर रखना पड़ता है. और जब जीवन मे भक्ति आ जाती है तो ज्ञान और वैराग्य प्राप्त हो जाता है और जब ज्ञान और वैराग्य प्राप्त हो जाता है तो विवेक अपने आप आ जाता है. जब विवेक प्राप्त हो जाता है तो मानव दुःख सुख के भाव से उपर उठ जाता है. 


ऐसा नहीं है कि भक्ति के लिए सांसारिक जीवन का त्याग करना पड़ता है. गृहस्थ जीवन में भी रहकर भक्ति और वैराग्य प्राप्त किया जा सकता है. जैसे राजा जनक जी ने प्राप्त किया था. भगवान ने श्रीमद्भागवत गीता में कहा है सत्कर्म से स्वर्ग तक का सुख प्राप्त हो सकता है मगर भगवान की भक्ति से बैकुंठ का सुख भी प्राप्त हो जाता है. भगवान को प्राप्त करने के लिए श्रीमद् भागवत ग्रंथ सबसे सर्वोत्तम ग्रंथ है इनका ध्यानपूर्वक श्रवण करना चाहिए.










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