साढ़े तीन महीनों तक की यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम से होकर गुजरेगी तथा 50 से अधिक प्रमुख स्थानों पर रुकेगी. इनमें ऐसे स्थल भी है जो विश्व विरासत में शामिल हैं. यह जलयात्रा राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य से भी गुजरेगी जिसमें सुंदरवन डेल्टा और काजीरंगा नेशनल पार्क भी शामिल होगा.
- 21 दिसंबर को कोलकाता से वाराणसी के लिए रवाना हुआ है गंगा विलास क्रूज
- बक्सर में स्वागत के लिए मौजूद रहे प्रशासनिक अधिकारी
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : 21 दिसंबर से कोलकाता से वाराणसी के लिए रवाना हुआ गंगा विलास क्रूज शनिवार की सुबह तकरीबन 8:30 बजे बक्सर पहुंच गया. इसके पूर्व शुक्रवार की शाम क्रूज़ दियारा इलाके में पहुंचा था, जहां से सैलानी उत्तर प्रदेश के बलिया घूमने के लिए गए हुए थे. वहां से लौटने के बाद क्रूज़ आगे की तरफ बढ़ा और अर्जुनपुर में नाइट हाल्ट हुआ. सुबह तकरीबन 8:30 बजे रामरेखा घाट पर पुनः क्रूज पहुंचा जहां अपर समाहर्ता प्रीतेश्वर प्रसाद, अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा, सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी दीपचंद जोशी समेत तमाम पदाधिकारी यात्रियों के स्वागत के लिए खड़े थे.
रामरेखा घाट पर उतरकर यात्री बक्सर के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के लिए निकल गए. मंदिरों में दर्शन के पश्चात वह कतकौली के लड़ाई मैदान में पहुंचे. जहां से वापस दो घंटे बाद पुनः रामरेखा घाट पर पहुंचे और उन्हें लेकर क्रूज़ आगे की तरफ से प्रस्थान कर गया.
यात्रियों को पसंद आया बक्सर और बक्सरवासी
रामरेखा घाट पर पहुंची स्विट्जरलैंड की सैलानी मारिया से जब यह पूछा गया बक्सर में वह कैसा महसूस कर रही हैं तो उन्होंने कहा कि बक्सर यात्रा उनके लिए बेहद रोमांचक है. वह पहली बार बक्सर पहुंची हैं, लेकिन यहां के लोगों के मिलनसार स्वभाव से वह बहुत खुश है. वहीं जोसेफ ने बताया कि वह पहली बार बक्सर पहुंचे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि यहां वह बार-बार आना पसंद करेंगे.
15 को पुनः पहुंचेंगे यात्री :
अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि वाराणसी में 13 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इस यात्रा का विधिवत शुभारंभ तथा यात्रियों का स्वागत किया जाएगा. वापसी के क्रम में यह यात्रा 15 जनवरी को पुनः बक्सर पहुंचेगी तथा 1 मार्च को कोलकाता में पहुंचकर यह यात्रा समाप्त हो जाएगी. यह क्रूज़ जाने और आने दोनों बार में बक्सर रुकेगा वापसी के क्रम में क्रूज पर कुछ और यात्री भी सवार होंगे. हालांकि मौसम की स्थिति को देखते हुए आगमन की तिथि आगे भी बढ़ सकती है.
आधुनिक सुविधाओं से युक्त है भारत का 'गंगा विलास' जलयान :
भारतीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों की माने तो गंगा विलास भारत में निर्मित पहला जलयान है. यह आधुनिक सुविधाओं से युक्त और पूरी तरह से सुरक्षित है. इस जलयान में 18 कमरे होंगे. 21 दिसंबर को इसमें सभी यात्री कोलकाता के सवार हुए और 22 दिसंबर को यह जलयान वहां से रवाना हो चुका है. आने के क्रम में 15 दिन यह बांग्लादेश की जल सीमा में भी रहा है. वापसी के क्रम में भी यह 15 दिन बांग्लादेश के जल सीमा से होते हुए वापस कोलकाता पहुंचेगा.
गीत-संगीत का मजा लेते यात्रियों के साथ राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य से भी गुजरेगी यात्रा :
इस क्रूज में फिलहाल 30 यात्री सवार है लेकिन वापसी में 80 पर्यटक सवार होंगे जो तकरीबन चार हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा करेंगे. लगभग साढ़े तीन महीनों तक की यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम से होकर गुजरेगी तथा 50 से अधिक प्रमुख स्थानों पर रुकेगी. इनमें ऐसे स्थल भी हैं जो विश्व विरासत में शामिल हैं. यह जलयात्रा राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य से भी गुजरेगी जिसमें सुंदरवन डेल्टा और काजीरंगा नेशनल पार्क भी शामिल होगा. यात्रा लंबी है ऐसे में यह उबाऊ ना हो इसके लिए क्रूज़ पर गीत-संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही जिम आदि की सुविधा भी उपलब्ध होगी.
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