मोटे अनाज को हिंदुस्तान ही नहीं, दुनियाभर में भोजन की थाली में स्थान दिलाने का आ गया समय : अश्विनी चौबे

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व मार्गदर्शन में लोगों में जागरूकता के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. मिलेट को प्रोत्साहन और बढ़ावा सिर्फ खाद्यान्न की जरूरतें ही पूरी नहीं करेगा, बल्कि नए स्टार्टअप को इसके प्रोडक्ट्स दुनिया के सामने लाने का मौका मिलेगा. 






- आथर में प्रादेशिक अन्नदाता-श्री अन्न महोत्सव का हुआ आयोजन
- जागरूकता का हुआ प्रयास,बड़ी संख्या में किसानों व कृषि विशेषज्ञों ने की शिरकत

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है. मिलेट यानी मोटे अनाज को हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में भोजन की थाली में सम्मानजनक स्थान दिलाने का समय आ गया है.


केंद्रीय मंत्री जिले के आथर में मोटे अनाज के सेवन एवं उसके उत्पादन के प्रति किसानों एवं जनता में जागरूकता लाने के लिए आयोजित प्रादेशिक अन्नदाता श्री अन्न महोत्सव को संबोधित कर रहे थे. इसमें बड़ी संख्या में विभिन्न जिलों के किसान एवं कृषि विशेषज्ञ उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व मार्गदर्शन में लोगों में जागरूकता के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. मिलेट को प्रोत्साहन और बढ़ावा सिर्फ खाद्यान्न की जरूरतें ही पूरी नहीं करेगा, बल्कि नए स्टार्टअप को इसके प्रोडक्ट्स दुनिया के सामने लाने का मौका मिलेगा. इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, विशेषकर महिलाओं को मिलेट उत्पादन से प्रोसेसिंग तक के काम में जोड़ा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि आज दुनिया में मिलेट का प्रमुख उत्पादक देश भारत हैं, जिसमें बिहार का प्रमुख योगदान आने वाले समय मे औऱ बढ़े, इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मिलेट का उत्पादन किसानों के लिए लाभकारी है. इसमें पानी की जरूरत काफी कम होती है, पथरीली भूमि पर भी उत्पादन किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में भोजन को ईश्वर का स्वरूप माना गया है. भारत में मोटे अनाज का इतिहास लगभग 6 हजार साल पुराना है. इसके साथ ही हिंदू मान्यता के अनुसार यजुर्वेद में भी मोटे अनाज का जिक्र पाया गया है. जैसा हम जानते हैं कि धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा पाठ में जौ का इस्तेमाल किया जाता है. ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, रागी (मडुआ), सांवा,सामा,कुटकी, लघु धान्य, चीना, कांगनी आदि को मोटा अनाज की श्रेणी में आते हैं. स्वास्थ्य के लिए ये रामबाण हैं. 

केंद्रीय मंत्री श्री चौबे ने बताया कि दुनिया ने कभी खाद्य सुरक्षा के नाम पर हमें हमारे पारंपरिक खान- पान से दूर कर दिया गया, लेकिन आज हमें अपने अतीत और परंपराओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है. आज दुनिया ने मोटे अनाज पर मुहर लगा दी है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए. मैं इसके लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करता हूं. आज, दुनिया मधुमेह, कॉलेस्ट्रॉल और कई अन्य बीमारियों से जूझ रही है, मोटा अनाज आदर्श भोजन होने के साथ-साथ बीमारियों को भी दूर रखता है. उन्होंने बताया कि किसानों एवं लोगों में जागरूकता के लिए नियमित अंतराल पर इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. रविवार को आयोजित कार्यक्रम में प्राथमिक कृषि साख सोसायटी व एनसीडीईएक्स आइपीएफ ट्रस्ट सहित अन्य संस्थानों ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया.












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